किडनी प्रत्यारोपण की सफलता से लोहिया संस्थान ने पाया नया मुकाम

1
1061
Photo Source: http://us.gstat.mn/newsn

लखनऊ। यूपी में उच्चस्तरीय स्वास्थ्य देने की योजना को बुधवार को गोमती नगर के डा. राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान ने पूरा कर दिया। संस्थान ने पहने खर्च पर पहला किडनी प्रत्यारोपण सफलता पूर्वक कर लिया गया। यह प्रत्यारोपण बाराबंकी निवासी शिवबहादुर सिंह का किया गया। उसकी पत्नी ने किडनी देकर उसको जीवनदान दिया। प्रत्यारोपण में पीजीआई के विशेषज्ञों ने भी सहयोग दिया। प्रत्यारोपण होने के बाद देर शाम तक मरीज की हालत स्थिर बनी हुई थी।
लोहिया संस्थान में किडनी प्रत्यारोपण के लिए बाराबंकी निवासी शिव बहादुर सिंह (29) यूरोलॉजी विभाग आये। इनकी दोनों की किडनी खराब हो चुकी थी। डायलिसिस के बाद डाक्टरों ने जल्द ही किडनी ट्रांसप्लांट की सलाह दी थी।

Advertisement

किडनी दान करने वालों के बाद उसकी पत्नी ने किडनी दान करने की अनुमति दे दी। पर आर्थिक स्थिति न होने के कारण प्रत्यारोपण के लिए धनराशि नही थी। इसके लिए संस्थान ने शासन को मदद की अनुमति ली गयी। तत्काल शासन ने लोहिया संस्थान को अपने खर्चे पर प्रत्यारोपण करने की अनुमति दे दी। बारह को अचानक ब्लड प्रेशर हाई होने के बाद प्रत्यारोपण टालना पड़ गया। तबीयत ठीक होने पर बुधवार को मरीज के ठीक होने पर प्रत्यारोपण शुरू किया। संस्थान ने पहला प्रत्यारोपण होने के नाते पीजीआई के विशेषज्ञों को बुलाया गया था।

संस्थान के यूरोलॉजिस्ट डा. आलोक श्रीवास्तव ने नेतृत्व में लगभग पांच घंटे तक चली सर्जरी के बाद किडनी प्रत्यारोपण में सफलता प्राप्त कर ली। डाक्टरों के अनुसार दोनों की हालत स्थिर बनी हुई है। प्रत्यारोपण टीम में संस्थान के नेफ्रोलाजिस्ट डा. अभिलाष चंद्रा, यूरोलॉजिस्ट डा. ईश्वर दयाल पीजीआई से आये विशेषज्ञ डा. संजीत शामिल थे।

आैर सीता सावित्री बन अपने सुहाग को बचाने चल पड़ी –

किडनी प्रत्यारोपण की सफलता के बाद जो भी परिणाम रहे लेकिन पत्नी को अपनी किडनी दान करने सीता ने वट सावित्री की कहानी को साकार कर दिया। डाक्टरों का कहना है कि पति की किडनी फेल होने के बाद पत्नी सीता ने ही सबसे पहले किडनीदान करने के लिए तत्काल तैयार हो गयी थी। पत्नी सीता के इस निर्णय से शिव बहादुर के साथ परिजन आैर नाते रिश्तेदार दुआ कर रहे थे कि दोनों को जोड़ी सलामत रहे। सभी जगह चर्चा थी कि किडनी देकर पतिधर्म को पूरा करने पर खुश थी। उसके परिजन भी उसके इस निर्णय से बेहद खुश है आैर बाराबंकी में शिवबहादुर से ज्यादा उसकी पत्नी के चर्चा थे।

Previous articleकेजीएमयू की बढ़ी परीक्षा फीस की शिकायत पहुंची राजभवन
Next articleजानिए कोलाइटिस और उसके उपचार के बारे में

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here