लखनऊ। किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय, पीजीआई, लोहिया संस्थान, सहित अन्य चिकित्सा संस्थानों में कार्यरत आउटसोर्स कर्मचारी वेतन न बढ़ने से आक्रोशित हैं। आरोप है कि शासन स्तर के अधिकारी जानबूझकर वेतन वृद्धि के मामले में लगातार बैठकों के बाद भी ठोस निर्णय नहीं ले रहे हैं।
ऐसे में कम वेतन में आउटसोर्स कर्मचारियों को परिवार के भरण पोषण में परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है, जबकि वर्तमान में स्थायी कर्मचारियों से अधिक आउटसोर्स कर्मी ही अस्पतालों की व्यवस्था को संभाल रहे हैं। संयुक्त स्वास्थ्य आउटसोर्सिंग संविदा कर्मचारी संघ ने चेतावनी दी है कि समस्याा का निदान न निकलने पर जल्द ही डिप्टी सीएम के आवास का घेराव किया जाएगा।
संयुक्त स्वास्थ्य आउटसोर्सिंग संविदा कर्मचारी संघ प्रदेश अध्यक्ष रितेश मल्ल ने एसीएस चिकित्सा शिक्षा को पत्र लिखकर वेतन के संबंध में जल्द शासनादेश जारी करने की मांग की है। मुख्यमंत्री के आदेश पर उप्र. शासन की ओर से महानिदेशक चिकित्सा शिक्षा की अध्यक्षता में वेतन समिति का गठन हुआ था। कमेटी ने विभिन्न संवर्ग के कर्मचारियों के वेतन निर्धारण की रिपोर्ट तैयार कर शासन को नौ जून 2023 को भेजा था, जिस पर शासन स्तर से निर्णय अभी तक नहीं आया। शासनादेश जारी न होने से कर्मचारियों का वेतन नहीं बढ़ सका है।
केजीएमयू, लोहिया संस्थान, पीजीआई, कल्याण सिंह कैंसर संस्थान में करीब 15 हजार आउटसोर्स कर्मचारी कार्यरत हैं, जिनको वेतन बढ़ोतरी का लाभ मिलना था। प्रदेश के करीब 50 मेडिकल कॉलेज में कई हजार आउटसोर्स कर्मचारी कार्यरत हैं, जिनको उचित वेतनमान नहीं मिल रहा है। शासन स्तर पर कमेटी गठित होने से कर्मचारियों में उम्मीद जगी थी। अगस्त में हुई शासी निकाय की बैठक में पीजीआई के आउटसोर्स कर्मचारियों के वेतन बढ़ोतरी का प्रस्ताव पास हुआ था, लेकिन उसे लागू नहीं किया गया है।