लखनऊ। आईसीयू वेटिंलटर पर वर्तमान में आवश्यक यूनिट बनता जा रहा है। इसमें मराजों की विशेष देखभाल के साथ इलाज कि या जाता है, इसके लिए प्रशिक्षित स्टाफ की आवश्यकता होती है। यहां प्रशिक्षित पैरामेडिकल स्टाफ व नर्स की बहुत कमी बनी हुई है। आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (एआई) टूल उम्मीद के रूप में सामने आया है। यह जानकारी दिल्ली के सर गंगाराम हॉस्पिटल में क्रिटिकल केयर मेडिसिन के चैयरमैन पद्मभूषण डॉ. बीके राव ने बुधवार को किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के क्रिटिकल केयर मेडिसिन विभाग के स्थापना दिवस में कही।
डॉ. राव ने कहा कि एआई टूल्स में मरीज की तबीयत का पैरामीटर तय कर सॉफ्टवेयर में दर्ज होता है। पैरामेडिकल एआई द्वारा तय पैरामीटर का पालन करता है। इस प्रयोग से मरीज की देखभाल आसान होगी। उन्होंने कहा कि एआई नया टूल भी आया है, जिससे सटीक जांच रिपोर्ट बन जाती है। भारत सरकार ने यह प्रोजेक्ट पीपीपी मॉडल पर शुरू किया गया है। नई दिल्ली के डॉ. जिगीशू वी दिवातिआ ने कहा कि आईसीयू के मरीज जल्दी संक्रमण की चपेट में आ जाते हैं। अधिक दिन आईसीयू में रहने से मरीज में दवाओं के प्रति प्रतिरोधक क्षमता भी विकसित हो जाती है।
केजीएमयू क्रिटिकल केयर मेडिसिन विभाग प्रमुख डॉ. अविनाश अग्रवाल ने कहा कि विभाग में 34 वेंटिलेटर बेड हैं। एक साल के दौरान करीब 1000 गंभीर मरीजों को भर्ती किया गया। तकरीबन 68 प्रतिशत मरीजों की जिंदगी बचाने में कामयाबी मिली है। 32 प्रतिशत मरीजों को नहीं बचाया जा सके। डॉ. अविनाश अग्रवाल ने कहाकि रेफर मरीजों का इलाज कठिन होता है। दरअसल इन मरीजों पर अंधाधुंध एंटीबायोटिक्क के उपयोग हो चुका होता है। प्रति कुलपति डॉ. अपजीत कौर ने बेहतर काम करने वालों को सम्मानित किया।