लखनऊ। प्रदेश के उपमुख्यमंत्री एवं चिकित्सा शिक्षा व स्वास्थ्य मंत्री ब्रजेश पाठक के निर्देश के बाद भी किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के ट्रामा सेंटर में डॉक्टरों की व्यवहार में परिवर्तन नहीं हो रहा है। उपमुख्यमंत्री ने तीमारदार से अभद्रता व मरीज का इलाज न करने की शिकायत को गंभीरता से लेते हुए कार्रवाई के निर्देश दिये है।
उपमुख्यमंत्री की सीधे कार्रवाई से केजीएमयू के ट्रामा सेंटर प्रशासनिक अधिकारियों व डाक्टरों हड़कम्प मच गया। रेजीडेंट डाक्टर पर कार्रवाई करते हुए मरीज का इलाज शुरू कर दिया गया है। हालांकि ट्रामा सेंटर के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डा. संदीप तिवारी का कहना है कि मरीज का बेहतर इलाज किया जा रहा है। तीमारदार व डाक्टर के बीच गलतफहमी के कारण कुछ दिक्कत हुई है, ऐसा लगता है। पूरा मामला जांच के बाद स्पष्ट होगा।
उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने ठीक 12 दिन पहले केजीएमयू की ओपीडी व ट्रॉमा सेंटर का निरीक्षण करते हुए सभी मरीजों का इलाज करने व अन्य निर्देश दिये थे। आरोप है कि ट्रामा सेंटर में न्यूरो सर्जरी के डॉक्टरों ने मरीज के तीमारदार से अभद्रता करते हुए इलाज ही करने से इनकार कर दिया।
सोशल मीडिया के जरिये मामले की जानकारी होने पर डिप्टी सीएम ब्राजेश पाठक ने केजीएमयू प्रशासन को जांच कर दोषियों पर कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। तीमारदार और अभद्रता करने वाले डॉक्टरों के बयान दर्ज कर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई होगी।
तीमारदार ने इलाज न मिलने व अभद्रता की शिकायत को सीधे डिप्टी सीएम के ट्वीट कर दिया। जिसे डिप्टी सीएम ने गंभीरता से लेते हुए इलाज करने व कार्रवाई के निर्देश दे दिया। डिप्टी सीएम के हस्तक्षेप के बाद डॉक्टर हरकत में आए और आनन-फानन महिला का इलाज शुरू किया। आनन-फानन वार्ड में तीमारदार से अभद्रता करने वाले रेजिडेंट डॉक्टर को हटा दिया गया। दरअसल आजमगढ़ निवासी पीयूष सिंह पांच दिन पहले ब्रोन स्ट्रोक की शिकार मां सरिता को ट्रामा सेंटर के न्यूरो सर्जरी विभाग में भर्ती कराया था। तीमारदार पीयूष का आरोप है कि 15 अप्रैल को डॉक्टर के कहने पर दो यूनिट ब्लड का इंतजाम किया। अगले दिन शनिवार की डॉक्टर ने दोबारा से ब्लड मांगा। डोनर को मिलाने की बात पर डॉक्टर तीमारदार पर नाराज हो गए। डोनर ने मामले की शिकायत मुख्य चिकित्सा अधीक्षक से कर दी। शिकायत से नाराज डॉक्टर ने मरीज का इलाज करने से मना कर दिया।