तकलीफ़ में न रहे कैंसर का मरीज, पैरामेडिकल स्टाफ ने सीखी तकनीक

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लखनऊ। कैंसर मरीजों की कीमोथेरेपी के दौरान नसों में परेशानी होने लगती है। ब्लड का नमूना लेने के लिए टेक्नीशियन को नस तलाशने में काफी दिक्कतें आती है, लेकिन सावधानी से नसों को तलाश कर ब्लड सैंपल लेने की आवश्यकता होती है। जरा सी गड़बड़ी से मरीज को दर्द सहना पड़ता है। यही लिए गये ब्लड सैंपल का केयरिंग भी ध्यान देने की जरूरत है। यह जानकारी कल्याण सिंह कैंसर संस्थान में माइक्रोबायोलॉजी विभाग की प्रमुख डॉ. मनीषा गुप्ता सोमवार को संस्थान के प्रेक्षागृह में सैम्पल कलेक्शन पर कार्यशाला को संबोधित कर रही थीं।

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डॉ. मनीषा गुप्ता ने कहाकि पहली बार आईवी केयर, सैम्पल कलेशन पर संविदा पर तैनात नर्स व पैरामेडिकल स्टाफ को प्रशिक्षित किया गया है। उन्होंने कहा कि मरीज कीमोथेरेपी होने के कारण मरीज शारीरिक रूप से कमजोर होने लगता है। इसका सीधा असर नसों की सेहत पर भी पड़ता है। इससे सैंपल कलेक्शन लेने में दिक्कत आती है।

डॉ. मनीषा ने बताया कि कैंसर मरीजों को बार-बार ब्लड की जरूरत पड़ती है। मरीज के शरीर में तमाम तरह की एंटीबॉडी बन जाती है। नतीजतन ब्लड चढ़ाते वक्त रिएक्शन का खतरा भी होने लगता है। लिहाजा मरीज को ब्लड चढ़ाने के दौरान, खुजली, उलझन समेत दूसरी दिक्कत महसूस होने लगे तो सावधान तो संजीदा हो जाएं। तुरंत ब्लड चढ़ाने की प्रक्रिया को रोक कर डाक्टर से परामर्श लें।

अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. देवाशीष शुक्ला ने कहा कि कैंसर मरीजों को कई चरणों में कीमोथेरेपी देने की आवश्यकता पड़ती है। उन्होंने बताया कि कीमो पोर्ट कंधे के नीचे छाती के पास ऑपरेशन का प्रत्यारोपित कर दी जाती है। इससे मरीज को कीमोथेरेपी आसानी हो जाती है। मरीज की नसों को खराब होने से बचाया जा सकता है। पर, नर्स व पैरामेडिकल स्टाफ को कीमोथेरेपी के बाद कीमोपोर्ट को इंजेक्शन में दवा भरकर सही से साफ कर देना चाहिए। ताकि पोर्ट में रक्त के जमाव को रोकने के साथ ही संक्रमण से बचाया जा सके।

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