लखनऊ। संजय गांधी पीजीआई के डॉक्टर मनो चिकित्सक की मदद से लिवर, दिल, गुर्दा, दिमाग समेत दूसरी गंभीर रोगियों के इलाज के साथ ही उनकी शराब की लत भी छुड़वाएंगे। मरीज और तीमारदार की स्क्रीनिंग करेंगे। शराब छूटने के बाद मरीजों में चिड़चिड़ापन, उत्तेजित होने, बहकी बहकी बातें करने और तलब कम करने की दवाओं से उपचार करेंगे। जरूरत पड़ने पर मरीज को भर्ती कर इलाज होगा। सोमवार को पीजीआई निदेशक डॉ. आरके धीमन ने हेपेटोलॉजी विभाग की ओपीडी में शराब छुड़वाने की विशेष क्लीनिक अल्कोहल डिसआर्डर (एयूडीसी) का उदघाटन किया। मरीज की स्क्रीनिंग कर शराब की लत छुडवाएंगे। पहले दिन सोमवार को क्लीनिक में दो मरीज देखे गये, जो कि शराब के लती थे।
मनो चिकित्सक डॉ. रोमिल सैनी ने बताया कि शराब के लती मरीजों और उनके तीमारदारों की स्क्रीनिंग की जाएगी। उन्हें शराब छुड़वाने के लिए समझाया जाएगा। डॉ. सैनी का कहना है कि मरीजों को बताएंगें कि शराब छोड़ने से उनका जीवन बढ़ सकता है। इन्हें बताएंगें कि उनका जीवन किस तरह से उनके बच्चों और परिवार के लिए महत्वपूर्ण है। शराब सब कुछ नहीं है।
शराब के बिना भी लोग जिंदा रह सकते हैं। शराब छोड़ने के बाद होने वाले शारीरिक और व्यवहार के बदलाव का दवाओं से इलाज करेंगे। ज्यादा गंभीर होने पर भर्ती कर उपचार किया जाएगा। इन मरीजों को फॉलोअप पर बुलाकर इनकी निगरानी भी की जाएगी। ताकि यह मरीज दोबारा से शराब न पीएं।
पीजीआई निदेशक डॉ. आरके धीमन ने बताया कि शराब के सेवन से सिर्फ लिवर सिरोसिस व अन्य दिक्कतें नहीं होती हैं। बल्कि पैंक्रियाज, दिल, गुर्दा और तंत्रिका तंत्र के लिए नुकसानदेह है।
शराब की लत छुड़वाने के लिए मनो चिकित्सक तैनात किया गया है। डॉ. धीमन ने बताया कि 20 फीसदी मरीज लिवर प्रत्यारोपण व सिरोसिस ठीक होने पर दोबारा शराब पीने लगते हैं। हेपेटोलॉजी विभाग के प्रमुख डॉ. अमित गोयल ने बताया कि पहले दिन सोमवार को क्लीनिक में दो मरीज देखे गए। इस मौके पर सीएमएस डॉ. सजय धीराज समेत अन्य मौजूद रहे।