लखनऊ। हाल ही में रिलीज हुई बहुचर्चित फिल्म ‘ आदिपुरुष” को लेकर प्रदेश की राजधानी लखनऊ हजरतगंज सहित प्रदेश के विभिन्न जिलों में विरोध प्रदर्शन के बीच सोमवार को अयोध्या के संतों ने इस पर तत्काल प्रतिबंध लगाने की मांग करते हुए कहा कि फिल्म के संवाद सुनकर उनका ‘ खून खौलने” लगता है।
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राजधानी लखनऊ में अखिल भारतीय हिंदू महासभा के प्रवक्ता शिशिर चतुर्वेदी आैर उनके अन्य साथियों ने हजरतगंज पुलिस थाने में तहरीर देकर फिल्म के अभिनेताओं आैर फिल्म के निर्माता निर्देशक के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने की मांग की है। उन्होंने अपनी तहरीर में कहा कि फिल्म में सनातम धर्म का, प्रभु श्री राम जी का, हनुमान जी का, भगवा ध्वज का आैर सीता मैया का अपमान किया गया है। उन्होंने कहा कि फिल्म का चित्रण गलत आैर कलाकारों की वेशभूषा अनुचित है आैर इसके संवाद आपत्तिजनक हैं। असल रामायण का गलत प्रस्तुतीकरण किया गया है। इस बारे में सहायक पुलिस आयुक्त (एसीपी) अरविंद कुमार वर्मा ने बताया कि फिल्म के खिलाफ तहरीर मिल गयी है आैर पुलिस मामले की जांच कर रही हैं, अभी इस मामले में प्राथमिकी दर्ज नहीं की गयी है।
यही नहीं हनुमानगढ़ी मंदिर के मुख्य पुजारी महंत राम दास ने कहा कि फिल्म आदिपुरुष को हिंदू धर्म आैर संस्कृति के खिलाफ विदेशी साजिशों के तहत बनाया गया है। भगवान राम, भगवान हनुमान आैर देवी सीता की भूमिका निभाने वाले पात्रों द्वारा दिए गए फिल्म के संवाद रामायण की आदर्श संस्कृति को नष्ट कर देंगे। हमारी मांग है कि फिल्म पर तुरंत प्रतिबंध लगाया जाए। फिल्म को लेकर प्रदेश के लगभग सभी जिलों से तीखी प्रतिक्रियाएं आ रही हैं। अयोध्या के संतों का मानना है कि यह फिल्म हिंदू धर्म आैर संस्कृति के खिलाफ विदेशी साजिश के तहत बनाई गई है। राम मंदिर के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास ने कहा कि फिल्म के संवाद सुनकर खून खौल उठता है। फिल्म पर तुरंत प्रतिबंध लगना चाहिए।
युवाओं ने आदिपुरुष फिल्म को ना देखने की लोगों से अपील की आैर पर्चे बांटे, लेकिन वहां मौजूद पुलिस बल ने उन्हें रोक दिया। फिल्म ‘ आदिपुरुष’ के अमर्यादित संवाद आैर चरित्र चित्रण को लेकर मथुरा के गोविंद नगर थाना क्षेत्र में स्थित एक सिनेमाघर पर सोमवार को पहले शो से पूर्व ही अखिल भारत हिंदू महासभा के पदाधिकारियों आैर अन्य लोगों ने पहुंचकर नारेबाजी की। महासभा के राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष दिनेश शर्मा ने कहा कि उन संवादों से सनातन संस्कृति की छवि को बिगाड़ने का प्रयास किया गया है जिससे हमें बेहद पीड़ा महसूस हुई है। उन्होंने कहा कि वे लोग सेंसर बोर्ड का पुतला दहन करने आए थे, लेकिन पुलिस ने उन्हें ऐसा नहीं करने दिया। फिल्म के अमर्यादित संवाद आैर चरित्र चित्रण को लेकर एक हिंदू संगठन के कार्यकर्ताओं ने वाराणसी के सिगरा स्थित आईपी मॉल पर विरोध प्रदर्शन किया आैर फिल्म के पोस्टर फाड़ डाले।