लखनऊ। किसी की कोल्ड डायरिया से हालत गंभीर हुई तो किसी की निमोनिया से। यह हाल है प्रमुख सरकारी अस्पतालों में भर्ती बाल रोग वार्ड का। डाक्टर मान रहे हैं कि मौसम के उतार-चढ़ाव में बच्चों की विशेष देखभाल की जरूरत होती है। एकाएक ठण्ड व गर्मी से उन्हें बचाने की जरूरत है।
डा. श्यामा प्रसाद मुखर्जी (सिविल) अस्पताल की ओपीडी में सोमवार को करीब 29 सौ नए रोगियों ने पर्चे बनवाए। करीब इतने ही पुराने मरीज भी आए। फिजीशियन व बाल रोग ओपीडी में मरीज की सबसे ज्यादा भीड़ जुटी। बाल रोग वार्ड में एडमिट तीन बच्चे कोल्ड डायरिया से पीड़ित थे। वार्ड में तैनात नर्स ने बताया कि पिछले पांच से छह दिन में रोजाना तीन-चार बच्चे एडमिट हो रहे हैं। अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डा. आशुतोष दुबे ने बताया कि मौसमी बीमारी के मरीज बढ़े हैं। बुखार, डायरिया के बाद दूसरे नम्बर पर सांस रोगी बढ़े हैं। वार्डों में एडमिट मरीजों की संख्या कम हैं, लेकिन ओपीडी में मरीज जरूर बढ़े हैं। बलरामपुर अस्पताल के बाल वार्ड नम्बर तीन में डायरिया से पीड़ित बच्चों की संख्या बढ़ी है। वीरांगना अवंतीबाई महिला चिकित्सालय (डफरिन) के बाल रोग की ओपीडी में दो सौ से अधिक मरीज है। ज्यादतार सर्दी-बुखार से पीड़ित थे। बाल रोग चिकित्सक सलमान ने बताया कि तेज बुखार में उल्टी-दस्त हो या फिर मरीज असाध्य रोग से ग्रसित हो तो इंफ्लुएंजा खतरनाक होता है। उन्होंने कहा कि बच्चों में तेज बुखार होने पर निमोनिया की बीस से पच्चीस प्रतिशत आशंका रहती है, इसलिए सबसे पहले बुखार को कंट्रोल करना जरूरी होता है। यदि बुखार उतर गया तो 90 प्रतिशत जानलेवा खतरे कम हो जाते हैं।