लखनऊ। यदि मरीज में अचानक आत्मविश्वास बढ़ने लगे आैर सभी काम को करने का दावा करने लगे। पूरे विश्वास के साथ काम करन की बात कहने लगे, तो सावधान हो जाएं। हो सकता है ऐसे लक्षण वाले लोग खास मानसिक बीमारी की चपेट में हो सकते है। क्लीनिक साइंस में इस बीमारी को बाइपोलर डिसऑर्डर कहते हैं। विशेषज्ञ डॉक्टरों का कहना है कि समय पर इलाज व काउंसलिंग से बीमारी पर काबू पाया जा सकता है।
बाइपोलर डिसऑर्डर मरीज का मूड, उर्जा और कार्य करने की क्षमता में परिवर्तन लाता है। इसमें मरीज स्वभाव बदल जाता है। मरीज सुस्त हो जाता है या फिर अत्याधिक तेज होने लगता है। बलरामपुर अस्पताल में मानसिक रोग विशेषज्ञ डॉ. पीके श्रीवास्तव का कहना है कि बाइपोलर डिसऑर्डर में मरीज की मानसिक स्थिति में एकदम से बदलाव आ जाता है। शांत रहने वाले व्यक्ति पर भी बीमारी गहरा प्रभाव डालती है।
डॉ. श्रीवास्ताव का कहना है कि मरीज धाराप्रवाह बोलता है। अपने आगे किसी की भी नहीं सुनता है। उसकी नींद कम हो जाती है। इसके बावजूद वह तारोजाता बना रहता है। कैंसर संस्थान के चिकित्सा अधीक्षक व मानसिक रोग विशेषज्ञ डॉ. देवाशीष शुक्ला का कहना है कि दस मानसिक रोगियों में तीन को बाइपोलर डिसऑर्डर होने की आशंका रहती है।
बीमारी के पुख्ता कारण का पता नहीं चला है। लेकिन माना जाता है कि यह आनुवंशिकी और पर्यावरणीय कारण से हो सकता है। उन्होंने बताया कि दवाओं और काउंसलिंग से इलाज संभव है। मरीज की दिनचर्या में बदलाव की जरूरत होती है।