लखनऊ। वर्तमान में अगर देखा जाए तो लोगों में हड्डी व जोड़ों की दिक्कत तेजी से बढ़ रही है। अगर देखा जाए तो तेजी से बढ़ता फास्ट फूड का सेवन, बढ़ता मोटापा सहित दूसरी वजह से जोड़ों में दिक्कत आ रही है। मोटे शरीर का वजन सबसे ज्यादा प्रभाव घुटनों पर पड़ता है। इस कारण घुटनों के जोड़ अधिक खराब होते हैं। यही नहीं चोट लगने की वजह से कूल्हे में फ्रैक्चर हो जाता है। जोड़ प्रत्यारोपण में अधिक देरी नुकसानदेह साबित हो सकती है। यह बात हड्डी रोग व प्रत्यारोपण विशेषज्ञ डॉ. संजय श्रीवास्तव ने कही।
डा. श्रीवास्तव बुधवार को होटल में जोड़ प्रत्यारोपण पर आयोजित कार्यशाला को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि घुटना या कूल्हा समेत दूसरे जोड़ प्रत्यारोपण कराने में अक्सर लोग कतरारते हैं। जब कि 60 वर्ष की उम्र के बाद यदि दवा का असर नहीं मिल रही तो जोड़ प्रत्यारोपण बेहतर विकल्प है।
उन्होंने बताया कि जोड़ प्रत्यारोपण में देरी से उसकी सफलता प्रभावित हो सकती है। उन्होंने बताया कि कई नए इंप्लांट आ गए हैं। जोकि 20 से 25 वर्ष तक क्रियाशील रहते है। प्रत्यारोपण के बाद संक्रमण की आशंका को भी कम करते हैं। डॉ. मयंक सोमानी ने कहा हड्डी से जुड़ी परेशानियों को लंबे समय तक नजरअंदाज न करें। डाक्टर से परामर्श लेकर हड्डी की मजबूती की भी जांच कराएं। कमर, पीठ, पैर व दूसरे अंगों के दर्द होने पर डॉक्टर की परामर्श लेना चाहिए।