लखनऊ। डा. राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान में हार्ट को ब्लड सप्लाई करने वाली नसों में जमा कैल्शियम को और उच्चस्तरीय तकनीक से साफ किया जा सकेगा। विशेष यह है कि चार मरीजों के हार्ट में नसों के भीतर व बाहर जमा कैल्शियम को एक ही तकनीक व उपकरण से हटा दिया। इसमें कोरोनरी ऑरबिटल एर्थेक्टॉमी तकनीक का ्प्रयोग किया गया। कॉर्डियोलॉजी विभाग में इस तकनीक से एंजियोप्लास्टी शुरू कर दी गई है। संस्थान में कॉर्डियोलॉजी विभाग के डॉ. सुदर्शन विजय इस तकनीक का प्रयोग कर रहे है।
सोमवार को लोहिया संस्थान के कॉर्डियोलॉजी विभाग में डा. सुदर्शन कोरोनरी ऑरबिटल एर्थेक्टॉमी तकनीक से चार मरीजों की एंजियोप्लास्टी की। इसके बाद बीमारी से मरीज को राहत भी मिली आैर अब चारों मरीजों की तबीयत स्थिर है। डॉ. सुदर्शन विजय ने बताया कि अभी तक हार्ट को ब्लड सप्लाई करने वाली नसों के भीतर जमा कैल्शियम को हटाने के लिए रोटाब्लेशन तकनीक का प्रयोग किया जाता है। इस पर लगभग 65 हजार रुपये खर्च आता है। नसों के बाहरी हिस्से में जमा कैल्शियम को हटाने के लिए लिथोट्राप्सी तकनीक के तहत शॉक वेव बैलून का प्रयोग किया जाता है। इस पर लगभग तीन लाख रुपये खर्च आता है। उन्होंने बताया कि कोरोनरी ऑरबिटल एर्थेक्टॉमी में मरीज को लगभग दो लाख रुपये खर्च करने पड़ेंगे। यह तकनीक ज्यादा बेहतर व सटीक होने के साथ सुरक्षित भी अधिक है।
कॉर्डियोलॉजी विभाग के प्रमुख डॉ. भुवन चन्द्र तिवारी ने बताया कि नसों में जमा कैल्शियम को हटाना कठिन हो जाता है। कई बार कोलेस्ट्रॉल व कैल्शियम दोनों ही नसों के भीतर व बाहर जमने से नस ब्लॉक हो जाती है। हार्ट की वाहिकाओं को पर्याप्त ब्लड नहीं पहुंच पाता है। इससे मरीज को सीने में दर्द समेत दूसरी गंभीर समस्या हो सकती है। उन्होंने बताया कि कैल्शियम पुराना होने से वह सख्त होने लगता है, इसके बाद ऐसे में एंजियोप्लास्टी कठिन हो जाती है। कैल्शियम हाटने के बाद स्टंट प्रत्यारोपित किया जा सकता है।
डॉ. सुदर्शन विजय ने बताया कि हार्ट की नसों में कैल्शियम जमने में तेजी से वृद्धि हो रही है। इसकी कई कारण हो सकते हैं। वर्तमान में खान-पान व जीवनशैली भी जिम्मेदार है। उन्होंने बताया कि एंजियोग्राफी के लिए अस्पताल पहुंचने वाले छह से 30 प्रतिशत मरीजों में कैल्शियम जमने संबंधी परेशानी देखने को मिल रही है। डॉ. सुर्दशन विजय, डॉ. अमरीष, डॉ. प्रशांत व डॉ. रितेश ने चारों मरीजों को नई तकनीक से एंजियोप्लास्टी करने में सहयोग किया। टीम में टेक्नीशियन प्रियरंजन, दिव्या, मोहित रहीं।