लखनऊ। डॉ. राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान में चल रही फैकल्टी भर्ती प्रक्रिया में शैक्षणिक शर्त पूरा न होने पर विशेषज्ञों डाक्टरों की भर्ती पर संकट गहराने लगा है। एम्स सहित अन्य बड़े चिकित्सा संस्थानों के अनेक योग्य विशेषज्ञ डॉक्टर्स सिर्फ एक शैक्षणिक शर्त के कारण आवेदन की दौड़ से बाहर हो सकते हैं। संस्थान ने भी विशेषज्ञ डाक्टरों की भर्ती करने के लिए नेशनल मेडिकल कमीशन (एनएमएस) यह शैक्षणिक शर्त हटाने के लिए अनुरोध किया है। उधर काफी संख्या में विशेषज्ञ डाक्टर भर्ती प्रक्रिया में जुड़ी शैक्षणिक शर्त के विरोध में न्यायालय की शरण में चले गये है।
लोहिया संस्थान में विभिन्न विभागों में फैकल्टी डाक्टर्स के विभिन्न पदों पर भर्ती करने के लिए आवेदन मांगे है। भर्ती प्रक्रिया में नियमों को एनएमसी की गाइड लाइन के अनुसार बनाया है। भर्ती प्रक्रिया में बेसिक कोर्स इन मेडिकल एजुकेशन टेक्नोलॉजी (बीसीएमईटी) और बेसिक कोर्स इन बायोमेडिकलरिसर्च (बीसीबीआर) का पूर्व प्रशिक्षण की शैक्षणिक योग्यता होनी चाहिए। लोहिया संस्थान ने यह नेशनल मेडिकल कमीशन (एनएमसी) के नियमों के तहत भर्ती प्रक्रिया अनिवार्य किया गया है।
आवेदन करने वाले विशेषज्ञ डाक्टरों का तर्क है कि भर्ती प्रक्रिया में यह कोर्स एम्स एवं अन्य केंद्रीय चिकित्सा संस्थानों में न नियुक्ति के लिए आवश्यक है, न ही वहाँ उपलब्ध है। उनका तर्क है कि एनएमसी द्वारा निर्धारित संस्थानों में भी यह कोर्स वर्ष में केवल कुछ बार सीमित सीटों (प्रत्येक बैच में 30) के साथ कराया जाता है। वहाँ भी एम्स एवं अन्य केंद्रीय संस्थानों के डॉक्टर्स को कोर्स में नामांकन नहीं मिल पा रहा।
लोहिया संस्थान के निदेशक ने भी विशेषज्ञ डाक्टरों की भर्ती के लिए एनएमसी को पत्र लिखकर अनुरोध किया कि ऐसे योग्य डॉक्टर्स को नियुक्ति की अनुमति दी जाए।
नियुक्ति के छह माह के भीतर ये कोर्स पूरा कर लें, बताया जाता है कि एनएमसी ने अभी तक कोई आधिकारिक उत्तर नहीं आया है।
उधर भर्ती प्रक्रिया में स्थिति के विरुद्ध एम्स अन्य चिकित्सा संस्थानों के डॉक्टर्स द्वारा हाई कोर्ट लखनऊ में याचिका दाखिल की गई है। न्यायालय ने इस याचिका पर संज्ञान लेते हुए एनएमसी से लचीलापन दिखाने और व्यावहारिक समाधान प्रस्तुत करने का निर्देश भी दिया है।
आवेदन करने वाले डाक्टरों का आरोप है कि लोहिया संस्थान की भर्ती प्रणाली में कुछ तकनीकी समस्याएँ भी आ रही है। जैसे पोर्टल का समय से पहले बंद होना, अंतिम दिन सहायता का अभाव, व एक से अधिक पदों पर आवेदन की असमर्थता, जिसने स्थिति को और जटिल बना दिया।