बालपुर/गोंडा। शिवा नगर सोनहरा में चल रही श्रीमद्भागवत कथा एवं रूद्रचण्डी महायज्ञ में उमड़ा भक्तों का सैलाब।
शिवा नगर सोनहरा में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा एवं रूद्रचण्डी महायज्ञ में आध्यात्मिक ऊर्जा, वैदिक परंपरा और देवी आराधना का अनुपम संगम देखने को मिल रहा है। इस पावन आयोजन में श्रीमद् देवी भागवत महापुराण ज्ञान यज्ञ और रूद्रचंडी महायज्ञ श्रद्धा और भव्यता के साथ जारी हैं, जहां हजारों श्रद्धालु देवी आराधना में लीन हैं।
कथावाचक डॉ. कौशलेन्द्र महाराज ने अपने प्रवचनों में कहा कि श्रद्धा, साधना और सेवा ही ऐसे तीन मार्ग हैं, जिनसे देवी को प्रसन्न किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि यह आयोजन वैदिक युग की गौरवशाली परंपराओं का पुनर्जागरण है, और यह समाज में आध्यात्मिक चेतना और संतुलन की स्थापना के लिए अत्यंत आवश्यक है।
डॉ. महाराज ने “ऐं” बीज मंत्र की व्याख्या करते हुए बताया कि यह मंत्र वाणी, बुद्धि, शक्ति और ज्ञान का मूल स्रोत है। उन्होंने त्रिपुर सुंदरी की उत्पत्ति, स्वरूप और उनकी सृजनात्मक शक्ति पर प्रकाश डालते हुए बताया कि वही आदि शक्ति का पूर्ण स्वरूप हैं, जिनसे संपूर्ण ब्रह्मांड की उत्पत्ति हुई।
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उन्होंने श्रद्धालुओं को त्रिपुर उपासना की विधियों, नियमों और आध्यात्मिक लाभों की जानकारी देते हुए वर्तमान युग में वैदिक जीवनशैली को अपनाने का आह्वान किया।
यज्ञ स्थल वैदिक मंत्रों की ध्वनि से गूंज उठा और वातावरण मंत्रोच्चारण व हवन की आहुतियों से दिव्यता और सकारात्मक ऊर्जा से भर गया। आयोजन स्थल पर ज्योति रामगोपाल मिश्रा, पवन गोस्वामी, पीयूष पाण्डेय, रविन्द्र पंडित, आस्था मिश्रा, सुनीता सिंह, नीलम ओझा, ऊषा शुक्ला, गुड़िया यादव, किरन निषाद सहित क्षेत्र के हजारों श्रद्धालुओं की उपस्थिति ने आयोजन को भक्तिमय बना दिया।
आयोजन समिति द्वारा पूजन सामग्री, प्रसाद वितरण, बैठने की व्यवस्था और स्वास्थ्य सेवाओं की उत्कृष्ट व्यवस्था की गई है, जिससे श्रद्धालुओं को किसी प्रकार की असुविधा न हो। समिति का सेवा भाव अत्यंत सराहनीय रहा।
यह आयोजन न केवल धर्म और आस्था का प्रतीक है, बल्कि सामाजिक समरसता और वैदिक परंपराओं के पुनर्जीवन का भी संदेश देता है।