लखनऊ । प्रदेश के संविदा कर्मचारियों ने 2 अक्टूबर को गांधीगिरी करते हुए पीजीआई केजीएमयू तथा लोहिया संस्थान में एक साथ हजारों पोस्टकार्ड पर अपना दर्द बयां करते हुए मुख्यमंत्री को प्रेषित किया। संगठन के प्रमुख रितेश ने बताया संविदा कर्मचारियों का लगातार शोषण किया जा रहा है। कोविड-19 की ड्यूटी में लगाए गए सभी कर्मचारी इमानदारी से अपना काम कर रहे हैं। इस दौरान अगर वह खुद बीमार पड़ते हैं तो उनका मनोबल बढ़ाने की बजाय उनका वेतन काट लिया जाता है जबकि ऐसा नियम नहीं है। वेतन बढ़ा या नहीं जाता है और अन्य सुविधाओं से वंचित किया जाता है जबकि उनसे काम स्थाई कर्मचारी से दोगुना लिया जाता है। उन से काम लेने वाली एजेंसियां भी उनको आधा अधूरा वेतन ही देती हैं। कई बार शासन प्रशासन के अधिकारियों से वार्ता हुई लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला इस कारण प्रदेश के सभी संविदा कर्मचारी पोस्टकार्ड पर अपना दर्द बयां करते हुए मुख्यमंत्री को प्रेषित करेंगे। यह संविदा कर्मचारियों की गांधीगिरी है अगर इस पर भी कोई कार्यवाही नहीं होती है तो सभी संविदा कर्मचारी उग्र आंदोलन करने को मजबूर होंगे। जिसकी जिम्मेदारी शासन प्रशासन की होगी। संयुक्त स्वास्थ्य आउट सोर्स कर्मचारी संघ के आवाह्न पर पीजीआई के कमियों ने पोस्ट कार्ड लिखा है कि वह कोरोना मरीजों की सेवा बिना किसी भेदभाव ककर रहे हैं। मार्च से लगातार कई शिफ्ट में कोरोना वार्ड में ड्यूटी कर चुके हैं। पोस्ट कार्ड में कर्मियों ने लिखा है कि 7 हज़ार रुपए से 15 रुपये मानदेय पर वह काम कर रहे हैं। कोरोना काल मे ड्यूटी कर साबित कर दिया है। आउट सोर्स नर्सेज, लैब टेक्नीशियन और पेशेंट हेल्पर ने मुख्य मंत्री को पोस्ट कार्ड भेज कर अपनी पीडा के साथ न्याय की गुहार लगायी है। आउट सोर्स कर्मचारी मलखान सिंह, साधना, कल्पना, सतीश और रूपा का कहना है कि संस्थान के संविदा कर्मी स्थायी कर्मियों के मुकाबले कई बार कोरोना वार्ड में काम कर चुके हैं।