लखनऊ। हाथ-पैर में कंपन होने के साथ ही चलने में लड़खड़ाहट होने लगे, तो सतर्क हो जाए। यह दिक्कत किसी भी उम्र में हो सकती है। क्लीनिक साइंस में इसे मूवमेंट डिसआर्डर कहते हैं। यह जानकारी लोहिया संस्थान में न्यूरोलॉजी विभाग के डॉ. दिनकर कुलश्रेष्ठ ने बृहस्पतिवार को मूवमेंट डिसआर्डर पर आयोजित जागरुकता कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कही।
उन्होंने बताया कि 29 नवंबर को मूवमेंट डिसआर्डर दिवस मनाया जाएगा। डॉ. दिनकर कुलश्रेष्ठ ने कहा कि दिमागी बुखार व अल्कोहल का सेवन करने वालों में यह दिक्कत हो सकती है। कुछ लोगों में यह आनुवंशिक कारणों से भी हो सकता है। संक्रमण व सिर में चोट लगने लखनऊ। हाथ-पैर में कंपन होने के साथ ही चलने में लड़खड़ाहट होने लगे, तो सतर्क हो जाए। यह दिक्कत किसी भी उम्र में हो सकती है। क्लीनिक साइंस में इसे मूवमेंट डिसआर्डर कहते हैं। यह जानकारी लोहिया संस्थान में न्यूरोलॉजी विभाग के डॉ. दिनकर कुलश्रेष्ठ ने बृहस्पतिवार को मूवमेंट डिसआर्डर पर आयोजित जागरुकता कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कही।
उन्होंने बताया कि 29 नवंबर को मूवमेंट डिसआर्डर दिवस मनाया जाएगा। डॉ. दिनकर कुलश्रेष्ठ ने कहा कि दिमागी बुखार व अल्कोहल का सेवन करने वालों में यह दिक्कत हो सकती है। कुछ लोगों में यह आनुवंशिक कारणों से भी हो सकता है। संक्रमण व सिर में चोट लगने के बाद भी मरीजों में मूवमेंट डिसआर्डर की परेशानी हो सकती है।
डॉ. दिनकर ने बताया कि दवाओं से बीमारी पर नियंत्रण हो सकता है। कुछ मरीजों को हर तीन महीने पर कुछ विशेष इंजेक्शन देने की आवश्यकता पड़ती है। समय पर सही इलाज होने पर कुछ मरीजों को सर्जरी की भी राहत दिलायी जा सकती है। फिजियोथेरेपी से भी बीमारी के प्रभाव को कम किया जा सकता है।
डॉ. अब्दुल कवि ने कहा कि इन बीमारियों से पीड़ित मरीजों की दिनचर्या प्रभावित होती है। मरीजों से बात करके उनकी परेशानी सुनना चाहिए। उनका मनोबल बढ़ाना चाहिए। इस मौके पर विभाग प्रमुख डॉ. एके सिंह, डॉ. वीएस गोगिया, डॉ. यशवीर समेत अन्य विभागों के डॉक्टर मौजूद रहे।के बाद भी मरीजों में मूवमेंट डिसआर्डर की परेशानी हो सकती है।
डॉ. दिनकर ने बताया कि दवाओं से बीमारी पर नियंत्रण हो सकता है। कुछ मरीजों को हर तीन महीने पर कुछ विशेष इंजेक्शन देने की आवश्यकता पड़ती है। समय पर सही इलाज होने पर कुछ मरीजों को सर्जरी की भी राहत दिलायी जा सकती है। फिजियोथेरेपी से भी बीमारी के प्रभाव को कम किया जा सकता है।
डॉ. अब्दुल कवि ने कहा कि इन बीमारियों से पीड़ित मरीजों की दिनचर्या प्रभावित होती है। मरीजों से बात करके उनकी परेशानी सुनना चाहिए। उनका मनोबल बढ़ाना चाहिए। इस मौके पर विभाग प्रमुख डॉ. एके सिंह, डॉ. वीएस गोगिया, डॉ. यशवीर समेत अन्य विभागों के डॉक्टर मौजूद रहे।