लखनऊ। किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के चार डाक्टरों पर मेडिकल काउसिल आफ इंडिया (एमसीआई) ने छह महीने के लिए क्लीनिकल प्रैक्टिस पर रोक लगा दी है। तब तक चारों डाक्टर सिर्फ प्रशासनिक कार्य ही कर सकते है। यह डाक्टर सर्जरी, चर्म रोग विभाग व फारेसिंक मेडिसिन एक अन्य विभाग के है। इन डाक्टरों पर आरोप है कि एक समय में एक से अधिक निजी मेडिकल कालेज में अपने डिग्री व अन्य दस्तावेज लगाकर चिकित्सकीय कार्य के साथ मरीजों का इलाज भी कर रहे थे। बताया जाता है कि एमसीआई की नजर अन्य मेडिकल कालेजों के डाक्टर पर भी है जिन्होंने एक साथ दो- दो जगह अपने दस्तावेज लगा दिये है आैर काम भी कर रहे है।
एमसीआई प्रदेश के निजी मेडिकल कालेजों में तैनात डाक्टरों के दस्तावेजों की गहन पडताल कर रहा है। इस पड़ताल में पता चला कि प्रदेश के लगभग 50 डाक्टरों की लिस्ट तैयार की है, जो कि पहले से ही एक मेडिकल कालेज में तैनात के साथ ही निजी मेडिकल कालेज में भी दस्तावेज लगा दिये है। इसके बाद क्लीनिक कार्य करके विभागों को मान्यता दिलाने के लिए सहयोग कर रहे है। एमसीआई से जारी लिस्ट में इन पचास डाक्टरों में केजीएमयू के चार डाक्टरों के नाम भी शामिल है। इसके अलावा प्रदेश के अन्य मेडिकल कालेजों के डाक्टरों का नाम भी शामिल है। एमसीआई ने केजीएमयू डा. शैलेन्द्र, डा. पारूल वर्मा, डा. शाऊली तथा डा. संजीव के नाम भेजे है आैर केजीएमयू प्रशासन से तत्काल क्लीनिकल कार्य अगले छह महीने के लिए प्रतिबंध लगाने के निर्देश दिये है। तब तक यह डाक्टर मेडिकोलीगल कार्य भी नहीं कर सकें गे। इस अादेश के बाद केजीएमयू प्रशासन ने तत्काल इन चार डाक्टरों पर क्लीनिक कार्य पर रोक लगाने के निर्देश दे दिये है। यह डाक्टर जुलाई महीने तक क्लीनिकल कार्य से विरत रहेंगे तब तक यह प्रशासनिक कार्य में केजीएमयू का सहयोग कर सकते है। बताया जाता है कि जल्द ही एमसीआई कुछ अन्य डाक्टरों के नाम भी घोषित कर सकती है।
छह महीने केजीएमयू के 4 डाक्टरों का क्लीनिकल वर्क बैन
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