लखनऊ। एमसीआई के द्वारा किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय में चार डाक्टरों के क्लीनकल बैन के बाद दो आैर डाक्टरों पर एक ही समय में दो संस्थानों में तैनात रहने का आरोप लगा है। यह शिकायत मुख्यमंत्री व राजभवन को भेजी गयी, जहां से राजभवन ने इस शिकायत पर के जीएमयू प्रशासन से आख्या तलब की है।
मेडिक ल काउंसिल ऑफ इंडिया ने केजीएमयू के चार डाक्टरों पर एक से अधिक संस्थानों में अपने दस्तावेज लगाने के आरोप में छह महीने के लिए क्लीनिकल कार्य से रोक दिया है। यह डाक्टर प्रशासनिक कार्य में ही केजीएमयू का सहयोग कर सकते है। कार्रवाई के तहत जुलाई तक इन डाक्टरों पर हर तरह से क्लीनकल बैन रहेगा। केजीएमयू के विभागीय सूत्रों की माने तो अब दो महिला डाक्टरों पर केजीएमयू के अलावा अन्य संस्थान में काम करने का आरोप लगा है। यह दोनों डाक्टर स्त्री रोग विभाग ( क्वीन मेरी ) में तैनात की गयी है। शिकायत में इन पर आरोप लगाया गया है कि एक निजी मेडिकल कालेज में तैनाती के दौरान ही केजीएमयू में जॉब करना शुरू कर दिया। इन दोनों पर पहले निजी मेडिकल कालेज में दस्तावेज लगे रहने के साथ ही क्लीनकल कार्य करने का भी आरोप है। इन दोनों डाक्टरों ने केजीएमयू में तैनाती के बाद लम्बे समय तक एनओसी नहीं दी। इन पर यह भी आरोप है कि नियुक्ति के समय वाछिंत अर्हता नही है आैर एमसीआई की अधिकारिक बेवसाइट पर शैक्षिक अनुभव का विवरण भी मौजूद नही था। यह शिकायत मुख्यमंत्री के अलावा राजभवन भी भेज दी गयी। हांलाकि अभी तक केजीएमयू प्रशासन इस मामले चुप्पी साधे हुए है।
राजभवन ने केजीएमयू से आख्या तलब की
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