न्यूज। देश में पंद्रह करोड़ से अधिक लेाग विभिन्न प्रकार के मानसिक रोगों से ग्रसित है, जिसका मुख्य कारण बदलती जीवनशैली व परिवेश के साथ हमारी रुढ़ीवादी परंपरांए भी शामिल हैं। यह जानकारी संबध हेल्थ फाउंडेशन (एसएचएफ) की ओर से अंतरराष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य दिवस (दस अक्तूबर) सप्ताह के दौरान आयेाजित कार्यक्रम में खुलासा हुई।
एसएचएफ की ट्रस्टी रीता सेठ ने बताया कि अंतरराष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य दिवस देशभर में मनाया जाता है लेकिन इस दिन सभी को मानसिक रोगियों का सम्मान करने का संकल्प लेना चाहिए, ताकि इस प्रकार के दिवस की सार्थकता सिद्व हो सके।
उन्होेंने बताया कि एक अनुमान और सर्वेक्षण के अनुसार गुरुग्राम में 85,000 (10 प्रतिशत) लोग मानसिक रूप से बीमार हैं। वर्ष 2016 के आंकड़ों के अनुसार यहां की आबादी करीब नौ लाख है। इस दिशा में सबसे जरूरी और कारगर उपाय है मानसिक रोगियों का इलाज करने वाले डॉक्टरों और अन्य पेशेवरों को संवेदीकृत करना क्योंकि ऐसे रोगियों को सिर्फ दवा से स्वस्थ नहीं किया जा सकता। उन्हें दवा के साथ-साथ उचित देखभाल और उचित व्यवहार करने वाले लेाग भी होने चाहिए।
निमहंस, बैंगलोर के किए नवीनतम मानसिक स्वास्थ्य सर्वेक्षण (2016) के अनुसार भारत में मानसिक बीमारी से 15 करोड़ लोग पीड़ित हैं। सर्वेक्षण के अनुसार पाया गया है कि इतनी भारी संख्या में मानसिक रागियों के इलाज और देखभाल के लिए सक्रिय रूप से हस्तक्षेप करने की आवश्यकता है लेकिन इलाज की स्थिति का इसी से पता चलता है कि देश में लगभग 5,000 मनोचिकित्सक ही है। इसके अलावा देखभाल और अन्य कार्यों के लिए आवश्यक अन्य मानसिक स्वास्थ्य पेशेवरों की संख्या मनोचिकित्सकों की संख्या से काफी कम है। ऐसे हालात में समस्या का एकमाा समाधान प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल के साथ मानसिक स्वास्थ्य को जोड़ना है।
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