लखनऊ। कुछ बच्चों का व्यवहार सामान्य नहीं होता है। तीन वर्ष के होने के बाद भी एक्टिव नहीं रहते है। बच्चा अक्सर ठीक से नहीं बोलता है या चुपचाप रहता है तो उसके लिए ध्यान देते हुए विशेषज्ञ डाक्टर से परामर्श लेना चाहिए। हो सकता है कि बच्चें में आटिज्म के लक्षण हो। कुछ खास लक्षणों के आधार या संकेतों से पहचान आसानी से की जा सकती है।
ऑटिज्म न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर है। देखा गया है कि सामान्य तौर पर इसके लक्षण 12 से 18 महीने की उम्र में दिखने लगते हैं। किं ग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय की थेरेपिस्ट डा. नलिनी के अनुसार अगर बच्चा आटिज्म से पीड़ित हो तो 18 महीने से 27 महीने में ही आटिज्म है या नहीं स्पष्ट हो जाता है। ऑटिज्म से सोशल, कम्युनिकेशन और बिहेवियरल स्किल्स को प्रभावित होता है। ऑटिज्म से पीड़ित काफी बच्चे अपना नाम सुनकर रिस्पांस नहीं करते हैं, यह लोग अपनी आवश्यकताओं को भी ठीक से नहीं बता पाते हैं। ऑटिज्म से पीड़ित को अलग अलग प्रकार की थेरेपी की आवश्यकता के माध्यम से पुर्नवास किये जाने की कोशिश की जाती है।
बच्चे में इन लक्षणों और संकेतों को नहीं करें नजरअंदाज
सामान्य तौर पर तीन वर्ष का होने पर बच्चा दूसरों की बातें समझने हुए एक्टिव होने लगता है। वह अपनी बात अपने अंदाज में सामने वाले बताने लगता है। अगर इस उम्र के बाद बच्चे में लैंवेज स्किल की कमी नजर आती है। अगर सही जवाब न देता हो, किसी शब्द को बार बार दोहराने लगा हो, गलत जवाब देता हो, दूसरों की बातों को दोहराता हो, तो ये ऑटिज्म के संकेत हो सकते हैं।
यही नही बच्चे के व्यवहार में कुछ खास हरकते ऑटिज्म का संकेत कर सकती हैं। इनमें चीजों में परिवर्तन से परेशान हो जाना, किसी एक ही खिलौने से खेलना, अक्सर खुद को नुकसान पहुंचाना, कभी – कभी बहुत ज्यादा नाराजगी या गुस्सा दिखाना, खाने और सोने के समय पालन नहीं करना जैसे व्यवहारगत दिक्कतें ऑटिज्म की ओर संकेत करते है। ज्यादातर ऑटिज्म से पीड़ित बच्चे लोगों से मिलना पसंद नहीं करते हैं। किसी के बात करने पर उसकी तरफ नहीं देखता है, आई कॉन्टेक्ट नहीं रखता हो, बातें अनसुनी करता हो, तो यह ऑटिज्म की ओर संकेत करने वाले लक्षण हो सकते है।