लखनऊ। पीजीआई में लाखों रुपये के दवा घोटाले की जांच में संदेह के घेरे में आये डाटा इंट्री ऑपरेटर को अब हटाने की तैयारी है। जांच में इनकी भूमिका संदिग्ध मिली है। इस प्रकरण में अब तक 18 संविदा कर्मी हटाये जा चुके हैं। वहीं आरोप है कि स्थायी अधिकारी और कर्मचारियों पर पीजीआई प्रशासन मेहरबान है। यह सभी संदिग्ध जुगाड़दार कर्मी आैर अधिकारी मलाईदार कुर्सी पर अभी भी जमे हुए हैं। प्रशासन के इस दोहरे रवैये से संविदाकर्मियों में आक्रोश है।
इस मामले में एफआईआर दर्ज होने के बाद पीजीआई पुलिस ने बुधवार को पीजीआई प्रशासन के अफसरों से मिलकर घोटाले से जुड़े दस्तावेज खंगाले। भुगतान किए गए फर्जी दवा के पर्चे और बिल लिए। मरीजों के पीडी खातों की पड़ताल की। सभी आठ आरोपियों का ब्यौरा लिया। अब इनके बयान लेकर मामले की जांच करेगी। पीजीआई प्रशासन अब दवा घोटाला रोकने के लिए पीडी खाता धारक मरीजों के फोटो युक्त पहचान पत्र और भुगतान के लिए ओटीपी वेरिफिकेशन की व्यवस्था शुरू करने जा रहा है।पीजीआई थाना,इंस्पेक्टर आशीष कुमार द्विवेदी का कहना है कि पुलिस ने घोटाले से जुड़े दस्तावेज लेकर पड़ताल कर रही है। जल्द ही आरोपितों के बयान लिए जाएंगे ।