लखनऊ। देश में आस्टियोआर्थराइटिस बीमारी के रोकथाम के लिए विशेष उपाय नहीं किये गये, तो 2025 तक देश विश्व में आस्टियोआर्थराइटिस बीमारी से ग्रसित लोगों की कै पिटल बन जायेगी। इतना ही नहीं मौजूदा समय में देश में लगातार इस बीमारी से पीडि़त लोगों की संख्या में इजाफा हो रहा है। यह आंकड़े भविष्य में भयावह हो सकते है। यह बात शिकागो से आये डॉ.जोएल ब्लाक ने रविवार को ऑस्टियोआर्थराइटिस विषय पर आयोजित दो दिवसीय ओएकॉन -2017 में कही। कार्यशाला में अंतिम दिन विशेषज्ञों ने एक मत से मांग की स्वास्थ्य मंत्रालय इस बीमारी को राष्ट्रीय कार्यक्रम में शामिल करें।
डॉ.जोएल ब्लाक ने कहा कि आस्टियोआर्थराइटिस में जोड़ जब तिरछे होने लगते हैं, आैर समस्या बढ़ ती जाती है। इस बीमारी से बचाव के लिए नंगे पांव चलना ज्यादा अच्छा होता है। इसके लिए उन्होंने इसमें विशेष प्रकार के जूते का निर्माण कराया है,जो व्यक्ति पहनकर काफी हद तक आराम पा सकता है।
केजीएमयू के गठिया रोग विभाग के प्रमुख प्रो.सिद्धार्थ के.दास का कहना है कि एलोजेनिक स्टेम सेल से मरीजों को लाभ मिल सकता है। उन्होंने कहा कि आस्टियोआर्थराइटिस बीमारी में स्टेम सेल से बीमारी का इलाज किया जा रहा है,लेकिन यदि एलोजेनिक स्टेम सेल के प्रत्यारोपण के बाद इलाज करने पर मरीज को आपरेशन की गम्भीर प्रक्रिया से नहीं गुजरना पड़ेगा। स्टेम सेल को पीड़ित व्यक्ति के पेट की वसा से या फिर बोनमेरो से लिया जाता है, इसके बाद उसे विशेष प्रकार से जोड़ो में इंजेक्ट किया जाता है, लेकिन एलोजेनिक स्टेम सेल में पीड़ित व्यक्ति को केवल स्टेम सेल इंजेक्ट किया जायेगा। इससे पहले एलोजेनिक स्टेम सेल बनाने वाली कम्पनी से स्टेम सेल लेना पड़ता है ।
डॉ.तृप्ती खन्ना का कहना है कि मौजूदा समय में आस्टियोआर्थराइटिस लोगों में अपंगता का चौथा कारण बनता जा रहा है। इस बीमारी की चपेट में आने वाले बुजुर्गों का पहले तो चलने में समस्या आती है,धीरे-धीरे उठने -बैठने तक में दिक्कत का सामना करना पड़ता है,ऐसे में जोड़ों के दर्द में ज्यादा देर न करते हुए विशेषज्ञ से परामर्श लेनी चाहिए।