लखनऊ। अरे साहेब हम निर्दोष है, यह साबित होने में 22 दिन लग गये। इन आरोप से हम नहीं हमारा परिवार भी मानसिक उत्पीड़न का शिकार हो गया। मुश्किल घड़ी में दोस्त साथ थे पर सभी परेशान थे। समाज के लोग हमसे फोन करके जानकारी मांग रहे थे आैर सफाई देते घूम रहे थे। परिवार के हर शख्श ने मानसिक उत्पीड़न सहा है। डाक्टर की शपथ लेने के बाद यह सबसे कठिन दौर था कि जब हमारे विश्वास व प्रोफेशन पर आरोप लगा था। नेपाल में भूकम्प त्राशदी से लेकर केजीएमयू तक सैकड़ों मरीजों की जान बचाने वाले हम लोग किसी की किडनी नहीं निकालने की सोच भी नहीं सकते है। यह सच हम जानते थे आैर हमारी टीम जानती थी।
इस प्रकरण में मरीज की सर्जरी करने की परिस्थतियों को जानने वाले भी हमारे सहयोगी हमारे साथ थे फिर भी बिना जांच के बाराबंकी में मरीज के आरोप पर ही गंभीर धाराओं में पुलिस में रिपोर्ट दर्ज करना ऐसे लगा कि कोई जानबूझ कर दोनों डाक्टरों को बदनाम करने की साजिश कर रहा हंै। इतने दिन तक हमारा परिवार किन परिस्थितियों में गुजर रहा था। अगर चिकित्सा शिक्षा मंत्री आशुतोष टंडन ने उच्चस्तरीय कमेटी बना कर जांच के आदेश न देते तो हमे तो बिना जांच के ही आरोप लगाकर कार्रवई की तैयारी शुरु हो गयी थी।