कैंसर संस्थान
लखनऊ। ऑफिस का माहौल हमेशा खुशनुमा होना चाहिए। जिम्मेदार अधिकारियों को कर्मचारियों को बेवजह का तनाव देने से बचना चाहिए। मानसिक स्वास्थ्य विभाग की ओपीडी में आने वाले कामकाजी कर्मियों में 20 से 25 प्रतिशत लोग मानसिक तनाव का इलाज कराने आ रहे हैं। इसमें सरकारी व गैरसरकारी दोनों प्रकार के कर्मचारी शामिल हैं। महिला व पुरुषों की संख्या में भी कोई भिन्नता नहीं है। यह बात कल्याण सिंह कैंसर संस्थान के चिकित्सा अधीक्षक व मानसिक रोग विशेषज्ञ डॉ. देवाशीष शुक्ला ने कही।
डा. शुक्ला बृहस्पतिवार को मानसिक स्वास्थ्य दिवस पर संस्थान के साइको आंकोलॉजी यूनिट की तरफ से आयोजित जागरुकता कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। डॉ. देवाशीष शुक्ला ने कहा कि ऑफिस में खराब काम के वातावरण के कई कारण हो सकते हैं। इसमें भेदभाव और असमानता शामिल है व काम का दबाव भी। इसके साथ ही नौकरी पर कम नियंत्रण और नौकरी की असुरक्षा आदि शामिल है। जो मानसिक स्वास्थ्य के लिए जोखिम पैदा करते हैं।
उन्होंने बताया कि वर्ष 2019 में कामकाजी आयु वर्ग के 15 प्रतिशत लोग मानसिक विकार के शिकार पाए गए थे। लोगों में धीरे-धीरे तनाव बढ़ रहा है। इससे लोगों की कार्यक्षमता भी प्रभावित हो रही है।
कार्यस्थल पर मानसिक स्वास्थ्य जोखिमों को रोकने के प्रयास करने चाहिए। कार्यस्थल पर मानसिक स्वास्थ्य की रक्षा और उसे बढ़ावा देने के लिए कदम उठाए जाने की जरूरत है। मानसिक स्वास्थ्य स्थितियों वाले श्रमिकों को सहायता प्रदान करने के लिए प्रभावी कदम उठाए। कर्मचारियों को नौकरी की सुरक्षा को लेकर भावना पैदा करें।