न्यूज। कोरोना न फैलने पाये ,इस पर रोक के लिए लगाये गए लॉकडाउन लगाया गया। शोध में पता चला कि इस दौरान समयपूर्व यौवन के मामलों, विशेष रूप से लड़कियों में 3.6 गुना बढोतरी देखी गई। यह चौंकाने वाली बात पुणे स्थित एक अस्पताल के शोधकर्ताओं द्वारा किए गए एक अध्ययन में निकल कर आयी है।
यह अध्ययन जर्नल ऑफ पीडियाट्रिक एंडोक्रिनोलॉजी एंड मेटाबॉलिज़्म में हाल ही में प्रकाशित हुआ है।
जहांगीर अस्पताल के शोधकर्ताओं ने कहा कि इसका सटीक कारण ज्ञात नहीं है, लेकिन कोरोना महामारी के दौरान आठ-नौ वर्ष की आयु के बच्चों में समयपूर्व यौवन के कई संभावित कारण देखने को मिले हैं, जिनमें तनाव, मोबाइल फोन और सैनिटाइटर का अधिक उपयोग भी शामिल है।
जहांगीर अस्पताल में ग्रोथ एंड पीडियाट्रिक एंडोक्रायनोलॉजी यूनिट में बाल रोग विशेषज्ञ एवं उप निदेशक अनुराधा खादिलकर ने कहा कि मोबाइल फोन के बढते उपयोग, देर से सोने की आदत, तनाव, चिंता, अवसाद, सभी को असामयिक यौवन का कारण माना जाता है और यह सभी कारक लॉकडाउन के दौरान प्रचलित रहे है।
खादिलकर ने एक न्यूज एंजेसी को जानकारी देते हुए कहा कि लॉकडाउन के दौरान सैनिटाइज़र का बड़े पैमाने पर उपयोग किया गया, इसलिए संभव है कि ट्राइक्लोसन के संपर्क में वृद्धि ने बच्चों में समयपूर्व यौवन के मामलों में बढोतरी हुई हो। हालांकि, इस संबंध की पुष्टि के लिए और अधिक गहन अध्ययन की आवश्यकता है।
ट्राइक्लोसन एक जीवाणुरोधी और एंटिफंगल एजेंट है, जो कि टूथपेस्ट, साबुन, डिटर्जेंट, सैनिटाइटर, खिलौने जैसे उत्पादों में मौजूद है।
भारत में मार्च 2020 में लॉकडाउन लग गया था। महाराष्ट्र के साथ-साथ देश के अन्य हिस्सों में अक्टूबर से दिसंबर 2021 के बीच चरणबद्ध तरीके से स्कूल खुलने लगे थे।
शोधकर्ताओं ने दो समूहों का विश्लेषण किया: एक सितंबर, 2018 से 29 फरवरी, 2020 तक पूर्व-कोविड लॉकडाउन समूह और दूसरा एक मार्च, 2020 से 30 सितंबर, 2021 तक समूह का अध्ययन किया था, जिसमें यह जानकारी निकल कर आयी।