लखनऊ। अगर आप लगातार तीन घंटे तक फेसबुक, व्हाट्सऐप अौर अन्य प्रकार से इंटरनेट का प्रयोग कर रहे है, तो सावधान हो जाए। यह आपको मानसिक रूप से बीमारी कर सकता है आैर भविष्य में किसी न किसी गंभीर बीमारी की चपेट में ले सकता है। यह चौकाने वाला खुलासा किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के मानसिक रोग विभाग के द्वारा किये गये सर्वे में हुआ है। सर्वे के अनुसार इंटरनेट का लगातार उपयोग करने वाले हर छह में से एक व्यक्ति सोशल मीडिया की गिरफ्त में रहता है। यह सर्वे यूपी हेल्थ सिस्टम स्ट्रेंथनिंग प्रोजेक्ट (यूपीएचएसएसपी) के सहयोग से यह सर्वे मुजफ्फरनगर, झांसी, महराजगंज और लखीमपुर खीरी में किया गया। सर्वे में तनाव, इससे लड़ने की क्षमता व अन्य समस्याओं को भी शामिल किया गया।
मानसिक चिकित्सा विभाग के अध्यक्ष प्रो. पीके दलाल ने कहना है कि लोगों के बीच तनाव तथा इससे मुकाबला करने की क्षमता, अवसाद, चिंता और इंटरनेट की प्रयोगात्मक स्थिति जानने को सर्वे किया गया। यह सर्वे प्रत्येक स्तर पर सामाजिक और आर्थिक स्थिति से जुड़े बारह हजार से अधिक लोगों पर किया गया। इस सर्वे में 13 से 75 वर्ष की उम्र के लोगों को शामिल किया गया। इसमें नशे के प्रयोग, मनोरंजन आदि के साधनों पर भी जानकारी ली गयी। डॉ. दलाल ने बताया कि पिछले एक वर्ष में 90 प्रतिशत से अधिक लोगों में तनाव का अनुभव किया गया, जिसमें आर्थिक कठिनाई तनाव का प्रमुख कारण रहा, किशोरों में पढ़ाई का तनाव का सबसे बड़ा कारण पाया गया।
इनमें काफी लोग तनाव से मुकाबला करने में सक्षम थे। चिंता, अवसाद आैर दिन चर्या में असंतुष्ट व्यक्तियों द्वारा अधिक तनाव अनुभव किया गया। उन्होंने बताया कि सर्वे में पाया गया कि इंटरनेट का उपयोग 93 प्रतिशत लोग करते है। प्रति दस में से एक व्यक्ति इलेक्ट्रानिक गैजेट्स का अत्यधिक गैर पेशेवर उपयोग यानी की तीन घंटे से ज्यादा करता है। ऐसे में उनमें सोशल मीडिया विकार होने की ज्यादा आशंका बनी रहती है। यह देखा गया कि ऐसे लोग अपनी दैनिक गतिविधियों से संतुष्ट नहीं होते है अौर इसको बेहतर करने की सोचा करते है।
सर्वे में पाया गया कि सामुदायिक नशे की स्थिति के आकलन में पता चला कि 27.6 फीसदी लोग चबाने वाले तंबाकू का सेवन करते हैं। इसी तरह 10.6 फीसदी लोग बीड़ी-सिगरेट, 10.3 फीसदी शराब, 0.6 फीसदी भांग, 0.1 फीसदी अफीम का सेवन करते हैं। सर्वे में महत्वपूर्ण बात यह निकल कर आयी कि समाज में हर पांचवा व्यक्ति किसी न किसी लम्बे समय से चली आ रही बीमारी से ग्रसित है। इसकी मूल वजह खाली समय होने के बाद भी शारीरिक श्रम न करना है। ऐसे लोगों की संख्या एक तिहाई है। इससे जीवन शैली से संबंधित विकार का खतरा बढ़ रहा है। ज्यादातर लोग उच्च रक्त चाप, खून की कमी की चपेट में हैं।
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