लखनऊ। किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय स्थित पीडियाट्रिक सर्जरी विभाग के विशेषज्ञ डाक्टरों ने सर्जरी कर शिशु की आहार नाल विकसित की है। डाक्टरों की टीम ने 19 महीने में तीन बार सर्जरी किया। अब शिशु पूरी तरह से डाइट लेकर स्वस्थ्य है। अमेठी के शिवगढ़ निवासी अनमोल ने क्वीनमैरी में शिशु को जन्म दिया। डाक्टरों ने जांच में एक दिन ही बता दिया कि शिशु की आहार नाल छोटी है। यहां से उसको उसे बाल शल्य सर्जरी विभाग के लिए रेफर किया गया। यहां पर प्रो. जेडी रावत ने प्राथमिक जांच के बाद एक्सरे कराया तो पता चला कि आहारनली विकसित नहीं है।
डा. रावत ने बताया कि मेडिकल में इस तरह के शिशु की बीमारी को ओसोफीजियल अट्रीसीसीया विथ टैक्रीयो ओसोफीजीयल फीस्टूला कहा जाता है। एक दिन बाद 26 मई 2018 को पहली सर्जरी की गयी आैर दूध पीने के लिए पेट से ट¬ूब डाल दी गयी। दूसरी सर्जरी 17 अगस्त 2019 को की गई। इसमें प्रो. जेडी रावत की टीम ने लीनियर कटिंग स्टेपलर की मदद से आमाशय से अतिरिक्त मांसपेशियों की मदद से आहार नाल बनाई। इसके बाद चार दिसंबर को तीसरी सर्जरी में विकसित की गई आहार नली को गले से जोड़ा दिया गया। इसके बाद शिशु अब धीरे- धीरे आहार का भी सेवन करने लगा है। प्रो. रावत ने बताया कि डा. सुधीर सिंह, डा. गौरव शांडिल्य, डा. गुरमीत सिंह, डा. निर्पेक्ष त्यागी, एनेस्थिसिया से प्रो. अनीता मलिक, प्रो सरिता सिंह की टीम व सिस्टर वंदना की टीम शामिल थी।
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