45 मिनट लिफ्ट में कैद रहा कर्मचारी

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लखनऊ। किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के लिम्ब सेंटर स्थित आर्थोपैडिक विभाग में आज एक लिफ्ट में लापरवाही से बड़ा हादसा होते होते बच गया। लिफ्ट अचानक खराब होने से उसमें एक कर्मचारी 45 मिनट तक फंसा रहा। सबसे ज्यादा लापरवाही तब हुई जब लिफ्ट फंसने के बाद इमरजेंसी अलार्म करीब 45 मिनट तक बजता रहा आैर कर्मचारी फंसा होने पर घबराकर दरवाजा पीटता रहा, लिफ्ट में ड्यूटी करने वाले लापता थे। नतीजा यह हुआ कि फंसे व्यक्ति को 45 मिनट बाद बाहर निकाला जा सका। लिम्ब सेंटर प्रशासन ने जांच के आदेश दे दिये है।

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घटना सुबह 10 बजकर की है। ऑर्थोपैडिक विभाग की ओपीडी के सामने लगी दो लिफ्टों में एक लिफ्ट नम्बर दो चौथी मंजिल पर जाकर अचानक बंद हो गयी। लिफ्ट खराब होने के बाद उसमें अंदर व्यक्ति ने इमरजेंसी एलार्म बजा दिया। बताया जाता है कि पहले तो आवाज सुनकर लोगों ने सोचा कि किसी गाड़ी का अलार्म बज रहा है अौर ध्यान नहीं दिया। इसके बाद लगातार जब 15-20 मिनट तक एलार्म बजता रहा तो उसी बिल्डिंग में स्थित डीपीएमआर विभाग के लोगों ने देखा कि आवाज लिफ्ट से आ रही है। इसके बाद तो वहां अफरा-तफरी मच गयी। लोग एकत्र हो गये आैर लिफ्ट ड¬ूटी के लिए तैनात कर्मचारियों अनिल गुप्ता, पंकज और सतीश यादव को तलाश किया गया। वह नहीं मिले तो फोन किया गया, लेकिन बताया जाता है कि फोन उठा नहीं।

जब फोन नहीं उठा तो इसके बाद डीपीएमआर विभाग की लिफ्ट में तैनात कर्मचारी सुनील को बुलाया गया, जिसने चाबी का इंतजाम करके जैसे-तैसे फंसे केजीएमयू के मेडिकल वेस्ट उठाने वाले कर्मचारी शफीक को सकुशल बाहर निकाला। इन सब बातों में 45 मिनट का समय बीत गया, तथा 10 बजकर 50 मिनट पर फंसे कर्मचारी को बाहर निकाला तो वह बुरी तरह डरा हुआ था। उसने बताया कि गनीमत है कि लिफ्ट में लाइट और पंखा चल रहा था, वरना इतनी देर में कोई अनहोनी भी हो सकती थी। बताया जाता है कि इन लिफ्ट में तैनात कर्मचारी अक्सर अपनी ड्यूटी से गायब रहते हैं। जानकारों का यह भी कहना है कि ये कर्मचारी लिफ्ट में तैनाती होने के बावजूद अक्सर गायब रहते हैं। इतनी बड़ी घटना के बाद भी केजीएमयू प्रशासन ने लापरवाह कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं की है।

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