कोरोना से जंग जीत चुके 57 प्रतिशत इस बीमारी का शिकार

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लखनऊ। कोरोना संक्रमण सिर्फ फेफड़े को ही प्रभावित नहीं करता है, बल्कि दिमाग पर भी असर डाल देता है। कोरोना वायरस नर्व सिस्टम को प्रभावित करता है, इसके कारण ब्रोन से आने वाले सिग्नलों को बाधा पहुंचती हैं। इसके कारण मरीज को अनिद्रा, डिप्रेशन की समस्या के अलावा चिड़चिड़ापन होने लगता है। आंकड़ों के मुताबिक कोरोना संक्रमित हो चुके लगभग 57 प्रतिशत लोगों को अनिद्रा की समस्या बनी हुई है। यह जानकारी डॉ. अलीम सिद्दीकी ने विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस (10 अक्टूबर) की पूर्व संध्या पर आयोजित पत्रकार वार्ता में दी।

 

 

 

आईएमए भवन में आयोजित पत्रकार वार्ता में मानसिक रोग विशेषज्ञ डॉ. सिद्दीकी ने बताया कि कोरोना संक्रमण से ठीक होने के बाद भी शरीर के कई अंगों पर असर पड़ता है। एक सर्वे का हवाला देते हुए डॉ. सिद्दीकी ने बताया कि सामान्य स्थिति में 18 प्रतिशत लोग नींद न आने की समस्या से ग्रसित होते हैं। पोस्ट कोविड दिक्कतों का सामना कर रहे 57 प्रतिशत लोगों को यह समस्या आ रही है। लगभग 42.3 प्रतिशत मरीज चिड़चिड़ेपन से पीडि़त हैं। एक आैर खास बात देखने मिली कि जिनमें कोरोना के लक्षण मिले थे आैर ठीक हो गये। उनमें से कई हाईपर एक्टिव यानि अधिक चंचल हो गए हैं। यह भी एक प्रकार की मानसिक अवस्था है। डॉ. अलीम का कहना है कि बच्चों को मोबाइल से दूर रखें, इससे भी वह मानसिक रूप से बीमार हो रहे हैं। यह एक प्रकार का स्क्रीन एडिक्शन यानि अधिक समय तक मोबाइल को देखने से होता है। यदि कोई व्यक्ति आधे घंटे से अधिक समय तक लगातार मोबाइल देखता है, तो उसका दिमाग सुस्त हो जाता है। ऐसा और अधिक करने पर मस्तिष्क कई रोगों का शिकार होता है। इसी के बाद मनुष्य के दिमाग में नये विचारों का आना कम होता जाता है। यह मानसिक रोग के शुरुआती लक्षण होते हैं। डॉ. अलीम के अनुसार मोबाइल की लत छुड़ाने के लिए उसी इन्टेसिटी का दूसरा काम करना होगा। यानि यदि आपका बच्चा अधिक मोबाइल खेलता है, उसी की पसंद के अनुसार कोई खेल या अन्य कोई कार्य करें। ऐसा करके ही लत को छुड़ाया जा सकता है। डॉ. सिद्दीकी का कहना है कि इसके अलावा लगातार अकेलापन भी मानसिक रोगी बना सकता है। साठ वर्ष से अधिक उम्र के लोगों को इस प्रकार की समस्या अधिक होती है। अकेलापन दूर करने के लिए परिवार के साथ रहें। अपने करीबी दोस्तों से मिलते रहें।

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