लखनऊ। किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय स्थित ट्रामा सेंटर में आग की घटना को एक सप्ताह से ज्यादा का समय हो गया है,लेकिन इतनी बड़ी घटना के लिए जिम्मेदारी तय नहीं हो पाई है .घटना की जांच कर रही केजीएमयू की पांच सदस्यीय टीम अभी तक अपनी जांच रिपोर्ट केजीएमयू प्रशासन को नहीं सौंप पायी है। जबकि इस जांच कमेटी को पहले ४८ घंटे का समय जांच रिपोर्ट देने का समय मिला था,बाद में इसकी समय सीमा तीन दिन और बढ़ा दी गयी थी। इस जांच कमेटी को आग के कारणों की जांच करने के साथ ही आग के दौरान मरीजों को एक जगह से दूसरी जगह ले जाने के दौरान हुयी मौतों की ऑडिट की जिम्मेदार भी दी गयी थी।
इसके अलावा मण्डलायुक्त ने बीते १८ तारीख को अपनी जांच रिपोर्ट मुख्यमंत्री को सौंप थी,लेकिन उस पर भी अभी तक कार्रवाई नहीं की गयी है। इसके अलावा केजीएमयू प्रशासन के पास उन मरीजों का डेटा भी अभी उपलब्ध नहीं है, जिन मरीजों की ट्रामा में आग के दौरान शिफ्ट करने तथा इलाज में लापरवाही के मामले में जिला प्रशासन द्वारा मुआवजा देने की बात कही गयी थी। जानकारों की माने तो आग के दौरान लगभग २०० मरीजों को ट्रामा सेन्टर से दूसरे विभागों मेंं ले जाया गया था। वहीं शिफ्टींग के दौरान इलाज न मिलने से दर्जन भर लोगों के मौत की बात भी कही जा रही है।
केजीएमयू प्रशासन बीते सप्ताह हुयी आग की घटना के दौरान मरीजों की मौत से लगातार इंकार कर रहा है। इन मौते के मामले में केजीएमयू प्रशासन का साफ कहना है कि जिन मरीजों की मौत हुयी,उनके इलाज में कोई लापरवाही नहीं साथ ही शिफ्ट करने में भी किसी मरीज की जान नहीं गयी। जिन मरीजों की मौत हुयी। उनकी हालत पहले से ही ज्यादा गम्भीर थी। जिससे इलाज के दौरान मरीजों की मौत हो गयी। लेकिन मरीजों की मौत के मामले में उनके परिजन लगातार दावा कर रहे हैं कि आग की घटना के दौरान मरीजों को इधर से उधर शिफ्ट करने में ऑक्सीजन हटने तथा इलाज न मिलने से मौत हुयी है।