अक्सर आपने देखा होगा कि कुछ वैद्य नब्ज़ देख कर बीमारी का पता लगा लेते हैं। इसी तरह अपनी नब्ज़ देखकर आप अपनी फिटनेस का पता लगा सकते हैँ। मेडिकल भाषा में “पल्स रेट’ का मतलब है एक मिनट में आपका दिल कितनी बार धड़कता है। बहरहाल, नब्ज़ देखने के लिए आप अपनी कलाई की नस या गर्दन की नस पर अंगूठा रखें और दिल की धड़कन को गिनते रहें। दूसरे हाथ में बंधी कलाई घडी में एक मिनट का समय देखें। जब आप मेहनत कर रहे होते है, तब नब्ज़ तेज हो जाती है, जबकि रेस्ट करने पर वह सुस्त हो जाती है। इस लिहाज से औसत रेस्टिंग पल्स रेट’ 60 से 100 बीट्स प्रति मिनट (बीपीएम) होना चाहिए।
कसरत करने के फौरन बाद अपना ‘पल्स रेट’ नोट कर लें। फिर उसके दो मिनट बाद ‘रिकवरी पल्स’ दर्ज करें । दोनों आंकडों के बीच का अंतर आपका ‘रिकवरी रेट’ होगा। यदि आप चाहें, तो अपनी रोजमर्रा की रूटीन कसरत करने के बाद “रिकवरी रेट’ को दर्ज करके अपनी प्रगति का जायजा ले सकते हैं। हम यह मान लेते हैं कि आपकी सेहत अच्छी है, इस लिहाज़ अपनी उम्र के अनुसार दर्शाये गए ‘टारगेट पल्स रेट’ का लक्ष्य रखें।
अपनी प्रोग्रेस को यूँ मापें –
अपना वजन करना छोड़ दें। फिटनेस प्रोग्रेस पता करने का सबसे बेहतरीन तरीका है टेप माप। टेप का इस्तेमाल कसरत से पहले करें। यह आपको बताएगा कि आपने कितनी प्रोग्रेस की है और इसे कितनी तेजी से हासिल किया है।
इसे कैसे करें?
एक फ्लेक्सिबेल टेप मेजर (स्प्रिंग वाला टेप बढिया रहेगा) लें और अपने पार्टनर की मदद से नीचे बताई मापों को दर्ज करें।
सीना : आराम से खड़े रहें और “निपल लेवल’ पर सीने की माप लेने को कहें।
ऊपरी बांहें : अपने धड़ से दोनों हाथों को 90 डिग्री पर ले आएं। हथेलियाँ उपर की ओर कर लें, कोहनियों सीधी रखें। उपरी बांह के सबसे चौड़े हिस्से की माप लें। हाथों को हिंलाएं-डुलाएं नहीं।
कमर : नाभि से एक इंच ऊपर कमर की माप लें।
जांघें : जांघ से सबसे चौंड़े हिस्से की माप लें। यह बिल्कुल नितम्बों के नीचे होता है। बेहतर होगा कि हर महीने वही व्यक्ति माप ले, जिसने पहली बार माप लिया था, ताकि कोई गड़बड़ न हो।
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