ऐसे भी फैलता है टीबी का संक्रमण

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Photo Source: http://static.dnaindia.com/

अभी तक समझा जाता था कि माइकोबैक्टिरियम ट्यूबरकुलोसिस (एमटीबी) सांस के जरिए फैलता है ,लेकिन हालिया शोध से पता चला है कि माइक्रोफोल्ड सेल (एम-सेल) ट्रांसलोकेशन एक नया तरीका है, इस तरीके टीबी का जीवाणु एमटीबी शरीर के अंदर प्रवेश करता है। संक्रमण के इस तरीके के बारे में पहले किसी को पता नहीं था। हालिया शोध में इस प्रकार के नये संक्रमण का पता चला है। द यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्सास साउदर्न मेडिकल सेंटर में पोस्ट डॉक्टोरल शोधार्थी विद्या नायर ऑनलाइन कोशिका रिपोर्ट जर्नल में प्रकाशित अध्ययन की प्रमुख हैं।

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यूटी साउदवेस्टर्न में इंटरनल मेडिसिन एंड माइक्रोबायोलॉजी के सहायक प्रोफेसर माइकल शिलोह बताते है कि “संक्रमण का नया तरीका यह है कि एमटीबी जीवाणु श्वसन प्रक्रिया के  माध्यम से शरीर में पहुंचने के बाद पूरे फेफड़े में फैल जाते हैं, जिसके बाद उसे मैक्रोफेज निगल जाते हैं।” मैक्रोफेज सफेद रक्त कणिका है, जो हमारे शरीर में होने वाले संक्रमण से लड़ती है। शिलोह ने कहा, “हमारा अध्ययन बताता है कि एक बार जब एमटीबी जीवाणु सांस के जरिए लिया जाता है, तो वह एम-कोशिकाओं के माध्यम से शरीर में सीधे प्रवेश कर सकता है, जिसके बाद वह लिंफ नोड व शरीर के अन्य हिस्सों तक पहुंच सकता है।”

टीबी का संक्रमण बचाव के लिए दवा पर शोध शुरु –

एम-कोशिकाएं एक विशेष प्रकार की एपिथिलियल कोशिकाएं हैं, जो म्यूकोसल सतह से कणों को कोशिकाओं के अंदर पहुंचाते हैं। हालांकि अभी इस पर विस्तार पूर्वक शोध किया जा रहा है। शोधकर्ताओं की टीम  इससे बचाव के लिएे दवाओं को विकसित करने में लगी है, ताकि एमटीबी को एम-सेल में शरीर में ही प्रवेश करने से रोका जा सके।

टीबी से प्रतिवर्ष 80 लाख लोग संक्रमित होते है –

बताते चले कि घातक रोगों में टीबी फेफड़े की एक बडी  बीमारी है। इस बीमारी से प्रतिवर्ष 80 लाख लोग संक्रमित होते है। आकडो को देखा जाए तो करीब 15 लाख लोग प्रतिवर्ष इससे अपनी जान गंवा देते हैं। यूएस सेंटर फॉर डिजिज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन के मुताबिक, दुनिया की लगभग एक तिहाई आबादी टीबी से संक्रमित है।

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