ग़ज़ल – देखिये क्या कह रहा है आइना

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देखिये क्या कह रहा है आइना,
बात जैसे कर रहा है आइना।

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साफ़ कर देना जमीं सब धुल को,
आज कल धुंधला रहा है आइना।

तोड़ कर जब से गए हो दिल मेरा,
आँख में अब चुभ रहा है आइना।

आइना सच बोलता सच में सदा,
ये भी कैसा सच बना है आइना।

आँख में “आभा” के कुछ है पड़ गया,
क्या है सब दिखला रहा है आइना।

– आभा

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