लखनऊ। टोटकों से बांझपन को दूर करने की बजाय अगर विशेषज्ञों की देखरेख में अत्याधुनिक तकनीक से इलाज कराया जाए तो सफलता मिलने की ज्यादा संभावना ज्यादा रहती है। इलाज में महिलाओं की जांच के साथ पुरुषों की जांच भी करायी जानी चाहिए। ताकि लाइन अाफ ट्रीटमेंट मिल सके। यह बात स्त्री रोग विशेषज्ञों ने इंडियन फर्टिलिटी सोसायटी के बारहवें सम्मेलन फर्टिविजन 2016 ने एक मत से कही। गोमती नगर के इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में आयोजित तीन दिवसीय सम्मेलन का उद्घाटन किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. रविकांत व मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा. एस एन एस यादव ने संयुक्त रूप से किया।
सम्मेलन में डा. रितु खन्ना ने बताया कि अगर विशेषज्ञ डाक्टरों की देखरेख में इलाज न किया जाए तो गर्भपात से गर्भाशय में संक्रमण का खतरा ज्यादा हो सकता है। उन्होंने बताया कि अल्ट्रासाउंड की सटीक जांच से दिक्कतों से पहचान की जा सकती है। उन्होंने कहा कि ज्यादातर लोग महिलाओं की जांच ज्यादा करवाते है आैर पुुरूष की कम होती है। सीमन की समस्या दोनों में से किसी में भी हो सकती है। डा. सुनीता चंद्रा ने बताया कि काउसलिंग महिला व पुरुष दोनों की होनी चाहिए।
प्रजनन चिकित्सा विज्ञान के नयी तकनीक पर विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए –
इससे पहले सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए कुलपति प्रो. रविकांत ने कहा कि चिकित्सा किसी प्रकार की जाए परन्तु शोध परक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाना चाहिए । इससे नये शोध पर चर्चा होती है आैर मरीजों के इलाज में अपडेट मिलता है। तीन दिनों तक चलने वाले कार्यक्रम में प्रजनन तकनीक सहायता के साथ बुनियादी प्रजनन चिकित्सा विज्ञान के नयी तकनीक पर विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए।