सर्दियों में सेहत का रखें ख्याल

0
1510
Photo Source: http://media2.intoday.in/

सर्दियों का मौसम हम में से ज्यादातर को पसन्द होता है। न चिलचिलाती धूप की गर्मी न पसीने की चिप-चिप। फिर इस मौसम में सहज ही उपलब्ध होने वाले तरह-तरह के स्वादिष्ट फल, सब्जियां और मेवे इसे खास तौर पर हम सबका पसंदीदा बना देते हैं। चाय की चुस्कियों और मूंगफली की चटर-पटर से सजी शाम हो या कोहरे में रजाई के लिपटी सुबह सव खुशगवार सी लगती हैं पर इस मौसम में भी सेहत की सही देखभाल बहुत जरूरी है।

Advertisement

सर्दी में तापमान में कमी और प्रदूषकों की बढ़ती मात्रा स्वास्थ्य के लिए एक अनचाही मुसीबत का कारण बनती है। बढ़ती ठंड अनेक लोगों की मौत का कारण बन सकती है। फिलहाल पारा देश भर में गिरता ही जा रहा है, जो कि जन सामान्य के जीवन और स्वास्थ्य दोनों के लिए चुनौती बनने वाला है। इस कठिन मौसम में अस्पतालों में निमोनिया, एस्थमा, सी0ओ0पी0डी0, फ्लू, कोल्ड डायरिया, हार्ट अटैक, स्ट्रोक, हाई ब्लडप्रेशर जैसी बीमारियों के मरीज बढ़ जाते हैं।कोहरा, जो वायुमण्डल की जलवाष्प के संघनित होने से बनता है कमोवेशहानि रहित होता है लेकिन धुंए और छोटे-छोटे प्रदूषक कणों के इर्द गिर्द जमने से बना ”स्मोग” (प्रदूषित कोहरा) हमारे शरीर के लिए मुसीबत होता है। इस वजह से आंखों में जलन, आंसू, नाक में खुजली, गले में खराश और खांसी जैसे लक्षण देखने को मिलते हैं।

बच्चों, वृद्धों और सांस के रोगियों को खासतौर पर सर्दी से बचना चाहिए –

छोटे बच्चों और वृद्धों के लिए यह दिक्कतें और भी ज्यादा होती हैं। दरअसल छोटे बच्चों एवं बुजुर्गो में प्रतिरोधक क्षमता कम होने के कारण उन्हें सांस संबधी बीमारियों से ज्यादा खतरा रहता है। उनमें फेफड़ों के संक्रमण का खतरा भी अधिक होता है। अतः बच्चों, वृद्धों और सांस के रोगियों को खासतौर पर सर्दी से बचना चाहिए। दरअसल यूं भी सर्दी बढ़ने के साथ ही सांस की नली की संवेदनशीलता तुलनात्मक रूप से बढ़ जाती है, जिससे सांस की नली सिकुड़ती है। तापमान में गिरावट के कारण ही रक्त वाहिनियों में भी सिकुड़न होती है और कोलेस्ट्राल का जमाव बढ़ता है, जिससे हार्ट-अटैक की सम्भावना बढ़ जाती है।

यह समय फ्लू या इन्फ्लूएंजा विषाणु के सक्रिय होने का भी है –

अतः बच्चों, वृद्धों और हाई ब्लड प्रेशर, शुगर, गठिया तथा सांस के रोगियों को खासतौर पर सर्दी से बचना चाहिए। इस जोखिम वाली आबादी को सर्दी के मौसम की मार से बचाये रखना जरूरी है। इसके अलावा सर्दी का मौसम कुछ खास किस्म के विषाणुओं को सक्रिय कर देता है। यही वजह है कि इस मौसम में नाक और गले के वायरल संक्रमण उल्लेखनीय रूप से बढ़ जाते हैं। यह समय फ्लू या इन्फ्लूएंजा विषाणु के सक्रिय होने का भी है जिसके फलस्वरूप फ्लू के मामलों में काफी बढ़ोत्तरी हो जाती है। बच्चों, वृद्धों, गर्भवती महिलायें, एच0आई0वी0 रोगियों और जटिल रोगों जैसे दमा, सी0ओ0पी0डी0, डायबिटीज, हदय रोगों से ग्रस्त लोगों में यह संक्रमण गंभीर रूप ले सकता है। इन गंभीरताओं में न्युमोनिया, हार्ट-अटैक, मल्टिपल आर्गन फेल्योर जैसी स्थितियां भी शामिल है।

वृद्धों में हड्डी के जोड़ों से रोगों की पीड़ा भी सर्दी के कारण बढ़ जाती है –

इस मौसम में नवजात शिशुओं और छोटे बच्चों में विषाणु जनित डायरिया भी हो जाता है। इस दौरान होने वाला डिहाइड्रेशन अगर सही तरह से उपचारित न हो तो खतरनाक हो सकता है। वृद्धों में हड्डी के जोड़ों से रोगों की पीड़ा भी सर्दी के कारण बढ़ जाती है। सर्दी मे त्वचा सूखी हो जाती है व पैरो के तलवे की त्वचा फट जाती है। बालो मे रूसी (डेडंªफ) भी काफी हो जाती है। आइये कुछ सरल सी बातें जानते हैं जिससे न सिर्फ हमारी सेहत सही रहेगी वरन् हम मौसम का बिना बीमारी की तकलीफ के पूरा आनंद ले पायेंगे।

पर्याप्त पानी पियें

यह बात सही है कि सर्दी में तापमान कम होने व पसीना कम निकलने के कारण प्यास कम लगती है लेकिन पानी समुचित मात्रा में फिर भी जरूरी है। पूरे दिन में छः से आठ गिलास पानी पीने से न सिर्फ शरीर में जलापूर्ति होती है वरन् शरीर की प्रतिरक्षा तंत्र या इम्यूनिटी पावर में भी इजाफा होता है। जिससे शरीर की मामूली सर्दी, जुकाम से लेकर फ्लू से लड़ने की शक्ति बढ़ती है।

रखें साफ-सफाई

सर्दी के शुरू होते ही कुछ लोग नहाना धोना यहां तक की हाथ धोना तक कम कर देते है या बन्द कर देते हैं जोकि बिल्कुल भी ठीक नहीं है। सर्दियों के दौरान बीमारी पैदा करने वाले कई किस्म के विषाणु और जीवाणु सक्रिय हो जाते हैं जो कि फ्लू और सर्दी जुकाम जैसी दिक्कतों के अलावा डायरिया और पेट दर्द जैसी दिक्कते पैदा कर सकते हैं। ऐसे में जरूरी है कि खाने से पहले और शौच जाने के बाद हर बार ताजे या गुनगुने पानी और साबुन से हाथ जरूर धोयें। नहाना छोड़ने से शरीर में त्वचा संबन्धी रोग रूसी, दाने, खुजली और फुंसी हो सकते है। इसलिये जरूरी है कि गुनगुने पानी से नियमित रूप से स्नान किया जाये पर ध्यान रहे कि छोटे बच्चों और बुजुर्गों को सुबह जल्द नहाने से बचना चाहिये। यह सावधानी बच्चे, बुजुर्ग, हाईब्लडप्रेशर और हदय रोगों से ग्रस्त रोगियों को खासतौर पर ध्यान रखना चाहिए।

संतुलित खाना खायें

सर्दियों में हालांकि खाना जल्दी खराब नहीं होता लेकिन ताजा खाने को हमेशा प्राथमिकता दें। खाने में बहुतायत में मिलने वाली हरी सब्जियों जैसे पालक, मेथी, बथुआ और अन्य सब्जियों और फलों का प्रचुर मात्रा में सेवन करें। सदिर्यों में गिरी वाले मेवा जैसे मूंगफली, बादाम, अखरोट का सेवन प्रोटीन और ऊर्जा प्रदान करता है। तिल भी ऊर्जा और खनिज लवणों के अच्छे श्रोत है पर इसका सेवन अधिक मात्रा में करने से बचना चाहिये। कुछ लोग यह भी सोंचते है कि सर्दी में कुछ भी कितना भी खाओ सब पच जाता है जो कि बिल्कुल ठीक नहीं है।

सर्दी में अत्यधिक घी, तेल, वसा और चीनी वाली चीजों के सेवन से बचना चाहिये। बिना रंग और केमिकल्स वाले गुड़ का सेवन उचित मात्रा में किया जा सकता है। खाने में ठण्डी, खट्टी व तीखी और सभी ज्यादा कैलोरी वाली वसायुक्त चीजों जैसे फास्ट फूड, आइसक्रीम, कोल्डड्रिंक और मिठाइयों के सेवन से बचें। इस मौसम में गरम तरल पदार्थ जैसे हल्की चाय, कॉफी, हल्दी दूध व सूप अधिक मात्रा में लेने चाहिए।

अलाव का प्रयोग करें संभलकर

सर्दी से बचने का सबसे बेहतरीन तरीका पूरे शरीर को गर्म कपड़ों से अच्छी तरह से ढक कर रखना है। ठण्ड बढ़ने पर हर जगह अंगीठी, अलाव और हीटर दिखने लगता है। यहां ध्यान रखने की बात यह है कि गर्मी प्रदान करने वाले यह सारे साधन न सिर्फ आस-पास जहरीली गैसें फैलाते है वरन् आसपास की जीवनदायनी आक्सीजन को भी सोख लेते है। खासतौर पर बन्द जगहों पर जहां हवा का भरपूर आवागमन संभव न हो वहां किसी भी किस्म के अंगीठी, अलाव या हीटर का प्रयोग नहीं करना चाहिये। यह जानलेवा हो सकता है। दरअसल आग बन्द कमरे में उपलब्ध समूची आक्सीजन खत्म कर देती है और उससे निकली कार्बन मोनोआक्साइड व कार्बन डाई आक्साइड नामक गैसें सोते समय उस कमरे में मौजूद लोगों का दम घोंट कर उन्हंे मार सकती हैं।

धूम्रपान व शराब गर्मी नहीं  देती

अक्सर लोग इस भ्रम में रहते है कि शराब से सर्दियों में शरीर को गर्म रखा जा सकता है। यह सिर्फ एक गलतफहमी है। शराब शरीर को नाम मात्र की ऊर्जा देती है लेकिन इसके लिवर सिरोसिस जैसे दूरगामी परिणामों को अगर एक तरफ भी रख दे ंतो तत्कालिक रूप से भी इसके बहुत से नुकसान है। शराब के दुष्प्रभाव के चलते शरीर की ठण्ड को महसूस करने की संवेदना एक तरह से चुक जाती है जिसकी वजह से शरीर अत्यधिक ठण्ड में हाइपोथर्मिया ( सर्दियों के वजह से होने वाले सन्निपात) का शिकार हो सकता है और यह स्थिति प्राणघाती भी हो सकती है।

धूम्रपान से शरीर को तुरन्त एक किक जरूर मिलती है किन्तु इससे केवल नुकसान ही है। शरीर में ऊर्जा पैदा करने का काम आक्सीजन द्वारा पोषक पदार्थों के दहन से होता है। धूम्रपान से शरीर की फेफड़ों से आक्सीजन ग्रहण करने की क्षमता कम होती है। इम्फाइसीमा, मुंह और फेफड़ों के कैंसर समेत चालीस किस्म के कैंसर होने का खतरा बढ़ता है।

व्यायाम  करें सही समय पर

सर्दी में सुबह-सुबह एक्सरसाइज, मार्निंग वॉक नहीं करनी चाहिए, यह स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव डाल सकती है। यह सावधानी बुजुर्गों, और हदय रोगों एवं गठिया से ग्रस्त रोगियों को खासतौर पर ध्यान रखना चाहिए। ठंड कम होने तक घर के अंदर व्यायाम करना ज्यादा श्रेयस्कर है। इसके अलावा मौसम ठीक होने पर अपनी सेहत और सामर्थ्य के अनुसार हल्के या मध्यम स्तर के व्यायाम जैसे टहलना, जॉगिंग, साइकिलिंग तथा अन्य खेलकूदों में भागीदारी की जा सकती है।

धूप मे अवश्य बैठे

सर्दी के मौसम मे धूप मे बैठना विशेष रूप से लाभकारी होता है। धूप मे बैठने से विटामिन डी प्रचुर मात्रा मे मिलता है, जिससे गठिया के रोगियो व बच्चों तथा बुजुर्गो को विशेष लाभ मिलता है। धूप मे बैठना संास रोगियो के लिए भी लाभकारी है।

अन्य सावधानियां

कुल मिलाकर सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि सर्दी से बचकर रहें। पूरा शरीर ढकने वाले कपड़े पहने। सिर, गले और कान को खासतौर पर ढकें। जटिल रोगों से ग्रस्त लोग अपने खान-पान और दवाइयों का ध्यान रखें और आवश्यकता पड़ने पर तुरंत अपने चिकित्सक से संपक्र करें।

सांस के रोगी न सिर्फ सर्दी से खासतौर से बचें। नियमित रूप से अपने डाक्टर के सम्पर्क में रहें व उनकी सलाह के अनुसार अपने इन्हेलर की डोज सही कर लें। शरीर को मालिश करने पर रक्त संचार ठीक होता है अतः सर्दी के मौसम में लाभकारी है लेकिन मालिश ठण्डी और खुली जगहों पर न करें। सर्दी, जुकाम, खांसी, फ्लू व सांस के रोगियों को सुबह शाम भाप लेनी चाहिए। यह गले व सांस की नलियों (ब्रान्काई) के लिए फायदेमंद है। चिकित्सक की सलाह से इन्फ्लूएन्जा की वैक्सीन का प्रयोग जाडे़ के मौसम में सक्रिय हानिकारक जीवाणुओं से सुरक्षा प्रदान करता है। हाथ मिलाने से बचें। नमस्ते करना ज्यादा स्वास्थ्यकर अभिवादन है। इससे आप फ्लू समेत कई छूने से होने वाले संक्रमणों से बच सकते है।

डा0 सूर्यकान्त त्रिपाठी
प्रोफेसर एवं विभागाध्यक्ष,
रेस्सपरेटरी मेडिसिन विभाग
किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय लखनऊ
राष्ट्रीय अध्यक्ष,इंडियन चेस्ट सोसाइटी

Previous articleहिचकिचायें नहीं, नयी तकनीक से बने माता- पिता
Next articleक्या आप अपने स्वास्थ्य को लेकर फिक्रमंद हैं ?

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here