कोलाइटिस आमतौर पर बड़ी आंत के प्रदाह से पैदा होने वाली एक गंभीर व दीर्घकालिक (क्रोनिक) पाचन-तंत्र सम्बंधित गड़बड़ी है। प्रदाह की यह समस्या होने की कई वजहें हो सकती हैं। जैसे बड़ी आंत में समुचित मात्रा में रक्त की आपूर्ति न हो पाना, एलर्जी या खान-पान संबंधी गड़बड़ी का नतीजा, या फिर शरीर की ऑटोइम्म्युन प्रतिक्रियाओं का परिणाम। किसी किसी में कोलाइटिस ही आगे चलकर अल्सरेटिव कोलाइटिस का रूप ले लेता है, जिसमें आंत में घाव हो जाता है।
रोग के प्रकार –
कोलाइटिस होने के कारणों को आधार बनाकर इसे कई प्रकार का बताया गया है। जैसे अल्सरेटिव कोलाइटिस, इस्केमिक कोलाइटिस, केमिकल कोलाइटिस, लिम्फोसाइटिक कोलाइटिस, इंफेक्सीयस कोलाइटिस आदि। इंफेक्सीयस कोलाइटिस यानी इन्फेक्शन के कारण होने वाला कोलाइटिस आजकल सबसे आम है। दूषित खानपान के जरिये आंत में हानिकारक बैक्टीरिया या वायरस आंत में पहुँच कर उसे संक्रमित कर यह रोग पैदा करते हैं।
आमतौर पर इस प्रकार का कोलाइटिस फ़ूड पोइज़निंग से होता है। शिगेला, इ.कोली, सैल्मोनेला और कैम्पिलोबैक्टर जैसे बैक्टीरिया के संक्रमण से इस तरह का कोलाइटिस होता है। अतिसार के साथ डिहायड्रेशन इस रोग का प्रमुख लक्षण है।
रोग के लक्षण –
अतिसार व पेटदर्द कोलाइटिस के सामान्य लक्षण हैं। इनके अलावा मरीजों में निम्नलिखित लक्षण भी देखने को मिल सकते हैं –
१. मल के साथ रक्त आना
२. मल त्याग के बाद भी मल त्याग ठीक से न होने का अहसास
३. मल त्याग से पूर्व तेज पेट दर्द, जो की मल त्याग के बाद खुद ब खुद ठीक होने लगता है।
४. पेट दर्द लगातार बना रह सकता है।
५. बुखार और बुखार के साथ सर्दी जैसे लक्षण भी नज़र आ सकते हैं।
६. पेट में कड़ापन
७. वजन घटना, डिहाइड्रेसन
८. जोड़ों में दर्द, थकान और भूख में कमी
९. गैस, बदहजमी, पेट में मरोड़, छाती में जलन जैसे पाचन तंत्र की गड़बड़ी से जुड़े आम लक्षण भी देखने को मिल सकते हैं।
अतिसार कोलाइटिस का प्रमुख लक्षण है, जो खुद ही कुछ घंटो में ठीक हो जाता है। अगर ऐसा नहीं होता, शिकायत लगातार बनी रहती है और शरीर में पानी की मात्रा भी काम होने लगती है, तो तत्काल इलाज की आवश्यकता होती है।
रोग निदान –
- अतिसार के ज्यादातर मामले आमतौर पर सीरियस किस्म के नहीं होते व कुछ समय में ही अपने आप कण्ट्रोल में आ जाते हैं। अगर न आएं तो, शायद बैक्टीरियल इन्फेक्शन के कारण ऐसा हो रहा है।
- धूम्रपान, डायबिटीज, हाईब्लड प्रेसर व रक्त में कोलेस्ट्रॉल की अधिकता रक्त धमनियों को अवरुद्ध कर देते हैं। इसलिए मरीज से इस सन्दर्भ में भी उचित जानकारी ले लेना जरूरी होता है। आवश्यक हो तो इसके सन्दर्भ में जरूरी टेस्ट कराये जाने की सलाह दी जा सकती है।
- अंतड़ियों में गांठ इत्यादि की शिकायत तो नहीं है, इसकी जानकारी हेतु डॉक्टर मरीज का ‘रेक्टल’ परीक्षण भी कर सकता है। रक्त यूरिन व स्टूल की पैथोलॉजिकल जाँच भी करई जा सकती है।
- अंतड़ियों के कैंसर की दशा में भी कोलाइटिस के लक्षण नज़र आ सकते हैं। इसलिए बेरियम एनिमा टेस्ट, सीटी स्कैन व कोलोनोस्कोपी, वगैरह की भी सलाह दी जा सकती है।
रोग निदान के बाद इसके कारणों को समझकर रोग का इलाज किया जाता है। देखा गया है की सामान्य किस्म के कोलाइटिस के मामले खान पान संबंधी गड़बड़ियों व खान पान की चीजों की अलेरञ के चलते होती है। तेल मसाले दर सब्जियां, कच्ची सब्जियां, सिगरेट शराब, कॉफ़ी, कोल्डड्रिंक्स, डेयरी फूड्स, लाल मिर्च, मांस मछली इत्यादि में से कोई न कोई पदार्थ व्यक्ति विशेष में कोलाइटिस के लक्षणों को बढ़ावा देते है। उनकी पहचान कर उनसे परहेज जरूरी होता है।