लखनऊ। किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय प्रशासन आजकल दोहरा मापदंड अपना रहा है। लोगों में चर्चा है कि ट्रामा सेंटर में गड़बड़ी करने वाले कर्मचारी को तो जेल भेज दिया गया आैर अन्य को जांच के नाम पर बचाने में जुट गया, जबकि कनवेंशन सेंटर में लाखों रु पये का घोटाला करने वाले बाबुओं को मात्र निलम्बित कर दिया गया, ताकि घोटालों से जुड़े बड़ों को बचाया जा सके।
केजीएमयू के ट्रामा सेंटर में दवाओं व क्लीनिकल सामान की चोरी में पकड़ा गये कर्मचारी ने एक निजी एजेंसी के गार्डो का नाम बताया था। इस निजी एजेंसी पर पहले भी कार्रवाई की जा चुकी है लेकिन कुछ वरिष्ठ अधिकारियों के सरक्षण में दोबारा इस निजी एजेंसी को काम दे दिया गया। तीमारदारों ने पहले भी आरोप लगाया है कि सुरक्षा गार्ड नेम प्लेट नहीं लगाये होते है आैर बाद में आरोपी गार्ड की ड¬ूटी ही बदल दी जाती है। इसी प्रकार कुछ समय पहले कनेंशन सेंटर में शादियों की बुंिकंग के नाम पर लाखों का घोटाला करने वाले दो बाबुओं को सिर्फ निलम्बित करके अटैच कर दिया गया। घोटाले में बाबुओं के साथ कुछ बड़े डाक्टरों का नाम भी संदिग्ध के घेरे में आ रहा था।
रिपोर्ट में आउटडेटेड सर्वर खरीदने व लाखों की बर्बादी का आरोप लगाया गया –
डाक्टरों के दामक को दाग न लगे इस लिए बाबुओं पर कड़ी कार्रवाई नहीं की गयी। इसी प्रकार स्थानीय लेखा परीक्षक की रिपोर्ट में केजीएमयू में चल रहे सेट्रल पेशेंट मैनेजमेंट की रिपोर्ट आई टी सेल में गड़बड़ी की बात कही गयी। यहां पर ओपीडी में पंजीकरण व पर्चा बनाने में जो सॉफ्टवेयर निजी कम्पनी से खरीदा गया है, जबकि रिपोर्ट में खुद बनाया बताया गया है। इसके बाद साफ्टवेयर के निर्माण में लाखों रुपये का एक अन्य कम्पनी के नाम जमा करा लिए गये। रिपोर्ट में आउटडेटेड सर्वर खरीदने व लाखों की बर्बादी का आरोप लगाया गया। इस कारण आये दिन सर्वर बैठ जाता है आैर मरीज लाइन में लगा रहता है। लेखाकार की रिपोर्ट के बाद अभी तक किसी जिम्मेदार अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई नही की गयी है।
सर्वर डाऊन रहने से मरीज परेशान रहता है –
इसके बाद भी ओपीडी के सर्वर को अपडेट करने के लिए क्लाउड सिस्टम लगाने का दावा किया जा रहा है। बताया जाता है कि एक रुपये की पर्चे की कीमत केजीएमयू के खाते में जाती है आैर पंजीकरण शुल्क पचास रुपये आई सेल के खाते में जाता है। फिर भी लाइन में लगा सर्वर डाऊन रहने से मरीज परेशान रहता है आैर आई सेल कर्मचारी वेतन के लिए बेहाल रहते है। आडिट रिपोर्ट में कहा गया है कि केजीएमयू के पास कई मदों से धनराशि आती है फिर भी मरीजों के लिए संसाधनों में कोताही बरती जाती है।