बलरामपुर अस्पताल का स्थापना दिवस पर विविध आयोजन 

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लखनऊ । बलरामपुर अस्पताल के 148 वें स्थापना दिवस समारोह में मुख्य अतिथि अपर मुख्य सचिव अरुण कुमार सिन्हा ने दीप जलाकर कार्यक्रम की शुरुआत करते हुए कहा कि यदि सभी अधिकारी एवं कर्मचारी अपनी पूर्ण क्षमाता का उपयोग करले तो उत्तर प्रदेश राज्य की स्वास्थ्य सेवायें केरल राज्य के स्तर तक भी पहुंच सकती है। अस्पताल की एक स्मारिका का भी विमोचन किया गया। परिवार कल्याण विभाग की महानिदेशक डा. नीना गुप्ता ने भी उत्कृष्ट कार्य करने के लिए प्रेरित किया।

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अस्पताल के निदेशक डा. ईयू सिद्दीकी ने अस्पताल के इतिहास पर प्रकाश डालते हुए कहा कि बलरामपुर चिकित्सालय की स्थापना वर्ष 1869 में हिल रेजीडेन्सी डिस्पेंसरी के रूप में की गयी थी। वर्ष 1901-02 में महाराजा बलरामपुर द्वारा उपलब्ध करायी गयी दान की राशि से विस्तारित किया गया। चिकित्सालय का परिसर 13 एकड़ भूमि पर फैला हुआ है। 756 शैय्यायें उपलब्ध है। चिकित्सालय में 94 चिकित्सक 175 नर्सिंग स्टाफ, 62 पैरामेडिकल, 17 मिनिस्ट्रीयल, 10 वाहन चालक एवं 353 अन्य कर्मचारियों के पद सृजित है।

लोग गोरा होने के लिए बिना डाक्टर की सलाह के क्रीम का उपयोग करते हैं –

इसके बाद सतत चिकित्सा शिक्षा कार्यक्रम में पीएमएस में ड्रमेटोलाजी क्लीनिक की स्थापना करने वाले डा. आरएल शाह ने कहा कि सुन्दर दिखने की होड़ में लोग गोरा होने के लिए बिना डाक्टर की सलाह के क्रीम का उपयोग करते हैं। कुछ समय तक चेहरे पर निखार आैर गोरापन दिखता है, लेकिन बाद में चेहरे पर धब्बे या नसें उभरती हैं, जिसे ठीक कराने के लिए लम्बा इलाज चलता है। उन्होंने बताया कि स्टोराईड व फेयरनेस क्रीम आदि के प्रयोग से बचना चाहिए। नवीन तकनीक के लिए लेजर विधि आदि के प्रयोग से चर्म रोग के रोगियों के उपचार के लिए बेहतर है।

गैस्ट्रोइन्ट्रोलाजी के डा. प्रशांत कटियार ने एलक्होलिक हेपेटाईटिस के बारे में बताया कि किसी भी रूप मे एलकोहल का प्रयोग लिवर के लिए नकुसानदायक है। यदि कोई व्यक्ति बीयर का सेवन यह सोच कर करता है कि उसमें एलकोहल की मात्र कम है तो वह केवल भ्रम में है।

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