कार्डियक दिक्कत को पहचाने किडनी के मरीज

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लखनऊ। किडनी के मरीजों को कार्डियक दिक्कत होने की ज्यादा आशंका होती है। इनको हार्ट अटैक में भी दर्द कम होता है। उन्होंने बताया कि इनको डायग्नोस भी करना मुश्किल होता है। अक्सर ईसीजी में भी हार्ट अटैक नहीं आता है। ब्लड की जांच में पहली बार नहीं पता चलता है। यह जानकारी डा. प्रवेश विश्वकर्मा ने कार्डियोकॉन 2017 कार्यशाला में दी। कार्यशाला में हार्ट सर्जरी व फेल्योर होने पर नयी तकनीक से इलाज पर चर्चा की गयी। इसके अलावा कार्डियोलॉजी सोसायटी ने आज कैथ लैब में काम करने वाले नर्सिंग व टेक्नीशियनों को विशेष रूप से तकनीकी अपडेट किया गया।

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कार्यशाला में डा. प्रवेश ने बताया कि अगर मरीज को अचानक सांस फूलना , उलझन घबराहट होने लगे आैर सीने में हल्का दर्द भी महसूस हो तो यह कि डनी मरीज के लिए हार्ट अटैक के भी सकेत हो सकते है। उन्होंने बताया कि लम्बे से डायबटीज, डायलिसिस, नेफ्रोपैथी के मरीजों को विशेष ध्यान रखना चाहिए। ऐसे में मरीज का ईसीजी रिपीट व ब्लड में सीरियल ट्रापोनिन कराना चाहिए।

लगभग पचास प्रतिशत मामलों में मरीज का हार्ट डिसिक्रोनाइज हो जाता है –

कार्यशाला में एम्स के प्रो. राकेश यादव ने बताया कि अगर हार्टफेल्योर का मरीज सही समय पर विशेषज्ञ डाक्टर के पहुंचता है तो उसे सीआरटी ( कार्डियक री सिक्रोनाइज ) तकनीक से उसकी असतुलिंत गति को नियंत्रित करके जीवनदान दिया जा सकता है।
कार्यशाला में प्रो. राकेश ने बताया कि हार्ट फेल के मामलों में एक तो तत्काल हार्टफेल होने पर मौत हो जाती है, इस प्रकार की मौते बीस से 30 प्रतिशत होती है, जबकि दूसरे मामले में हार्ट फेल के मामले में सांस फूलने, भूख कम लगने की शिकायत होती है। लगभग पचास प्रतिशत मामलों में मरीज का हार्ट डिसिक्रोनाइज हो जाता है। इसमें हार्ट के आंतरिक प्रक्रिया असंतुलित हो जाती है। इसके लिए सीआरटी तकनीक का प्रयोग किया जाता है। इस प्रक्रिया में हार्ट में तीन विशेष प्रकार के तार हार्ट के विशेष स्थान पर ले जाया जाता है।

इसके बाद विशेष तकनीक से आंतरिक असतुलित पक्रिया को ठीक कर दिया जाता है। उन्होंने बताया कि बच्चों को हार्ट की बीमारियां होती है। उनके बच्चों के हार्ट की सर्जरी के लिए अभी तक कार्डियक पीडियाट्रिक सर्जन की कमी है। उन्होंने बताया कि बच्चों की हार्ट की सर्जरी करने के लिए पूरी यूनिट ही अलग होती है। इसमें सबसे अहम रोल पीडियाट्रिक एनीस्थीसिया का डाक्टर का होता है। कार्यशाला में स्पार्क के तहत मंदबुद्धि, विकलांग आदि बच्चों के लिए कार्डियोलाजिकल सोसायटी ने वाटर कूलर, लड़कि यों को सिलाई मशीन, विशेष खिलौने, विशेष साइकिल आदि का वितरण किया। इसमें प्रमुख रूप से डा. शरद चंद्रा, डा. गौरव चौधरी, डा. आदित्य, डा. ऋषि, डा सुधांशु आदि का सहयोग था।

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