लोहिया अस्पताल में मुफ्त इलाज का दावा फेल

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लखनऊ। सूबे में सरकार बदलने के बाद भी गरीबों की समस्या कम होने का नाम नहीं ले रही है। डाॅ.राम मनोहर लोहिया संयुक्त चिकित्सालय में मुफ्त इलाज के दावे खोखले साबित हो रहे हैं। हालात यह हैं कि कच्चा प्लास्टर बंधाने भर में एक मरीज के हजारों रुपये खर्च हो जा रहे हैं। यह खर्चा मरीज का इलाज के दौरान दवाओं में न होकर बल्कि चिकित्सकीय स्टाफ को चाय पानी पिलाने में खर्च हो जाता है। चाय पानी के बाद ही मरीज को सही इलाज मिल पाता है। नहीं तो उसे स्ट्रेच खीचने से लेकर ग्लूकोज बदलने तक का काम खुद करना पड़ता है। मामला यहीं नहीं थमता नट बोल्ट और पत्ती के नाम पर गरीब मरीजों से पांच हजार रुपये से ज्यादा वसूल लिये जाते हैं। इसके अलावा आपरेश न के नाम पर आपरेश न से पहले ही खर्चा भी तय कर दिया जाता है।

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अस्पताल के वार्ड में भर्ती सीतापुर निवासी रमईलाल साइकिल से जाते वक्त दुर्घटनाग्रस्त हो गए थे। यहां वह 32 दिन से भर्ती हैं। एक पैर लोहे के स्टैंड पर टंगा हुआ है। जिसकों बीबी क्रैडल कहा जाता है। रमईलाल ने बताया कि इस स्टैंड को उन्हें 55०० रुपए में खुद खरीदना पड़ा जबकि इसमें ऐसा कुछ विशेष नहीं लगता जिससे यह इतना महंगा हो। ऐसे में समझ नहीं आ रहा है कि अभी और कितना खर्च आएगा। पास बैठी पत्नी ने बताया कि डॉक्टर ने कहा है कि अगर पैर अभी ठीक न हुआ तो ऑपरेशन होगा जिसमें 90 हजार खर्च होंगे।

चाय पानी में खर्च हो गये हजारों :

दुर्घटना में चोटिल होने के बाद कक्षा छह में पढने वाला विकास लोहिया अस्पताल में बीते 10 दिनांे से भर्ती है। बाराबंकी के देवा निवासी मरीज के पिता ने बताया कि अब तक उनका पांच से छः हजार रुपये चाय पानी में खर्च हो चुका है। डॉक्टर ने तो रुपए नहीं मांगे लेकिन प्लास्टर बदलने से लेकर स्टे्रचर खींचने वाले कर्मचारियों की जेबें जरूर गरम करनी पड़ी। तब जाकर प्लास्टर बंध पाया। अगर ऐसा न करो तो प्लास्टर रूम में बेहद बुरे ढंग से प्लास्टर निकालते हैं। कोई नहीं सुनता जबकि रुपए देते ही सुनवाई होने लगती है।

बिना इलाज बुजुर्ग को कर रहे डिस्चार्ज :

लोहिया अस्पताल में पिछले 15 दिनों से सीआर्म मषीन खराब है। जिसके चलते हड्डी रोगियों को डिस्चार्ज किया जा रहा है। वार्ड में भर्ती 65 वर्षीय छोटेलाल के दाहिनी जांघ की हड्डी टूटी है। बाराबंकी निवासी वह बुजुर्ग बीते 15 दिन से भर्ती है। कच्चा प्लास्टर भी चढ़ा है। उनके दामाद ने बताया कि अब डॉक्टर मशीन खराब होने की बात कह कर डिस्चार्ज कर रहे हैं। उनका कहना है कि जब मशीन ठीक हो जाएगी तब आना। ऐसे में समझ नहीं आ रहा कि इस हालत में उन्हें कैसे लेकर जांये और कहां इलाज कराएं।

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