लखनऊ । दुनियाभर में लोगों के लिए अस्थमा गंभीर बीमारी बनी है और इस बीमारी के मामले प्रतिवर्ष बढ़ रहे हैं। डब्लूएचओ के अनुसार 300 मिलियन लोग अस्थमा से पीड़ित है। भारत में यह बीमारी तेजी से बढ़ रही है और इसके 30 मिलियन मामले देखे गए। इन संख्या लगातार इजाफा हो रहा है। इसलिए इस बीमारी की पहचान आैर समय पर इलाज जरूरी है। यह बीमारी जेनेटिक है लेकिन प्रदूषित वातावरण अस्थमा के लिए बेहद घातक है। यह जानकारी केजीएमयू के रेस्पाइरेटरी विभाग के अध्यक्ष एवं इंडियन चेस्ट सोसाइटी के अध्यक्ष डा. सूर्यकांत ने गुरुवार को होटल अवध क्लार्क में आयोजित प्रेस वार्ता में कही। उन्होंने बताया कि हर साल पूरे विश्व में मई माह के पहले मंगलवार को अस्थमा दिवस मनाया जाता है, ताकि इस बीमारी के लक्षण, बचाव आैर उपचार के बारे में जानकारी दी जा सके।
अस्थमा एक दीर्घकालिक सांस से जुड़ी बीमारी है, जिसमें फेफडों की सांस की नलियों में सूजन आ जाती है। सूजन के कारण सांस की नलियां सिकुड जाती है और फेफडें अति संवेदनशील हो जाते है। कोई भी एलर्जी अस्थमा अटैक में ट्रिगर का काम करती है। धूल, ठंड, पराग, जानवरों के फर व वायरस और हवा के प्रदूषक और कई बार भावनात्मक गुस्सा भी अस्थमा अटैक का कारण बनता है। आमतौर पर अस्थमा के लक्षणों में बार बार छाती में जकड़न, सांस लेने में दिक्कत और खांसी है। बच्चों में अस्थमा का महत्वपूर्ण लक्षण रात या सुबह जल्दी खांसी रहना है। कई तरह के खांसी के सिरप और अन्य दवाइयां लेने के बावजूद खांसी का लगातार रहना अस्थमा का लक्षण हो सकता है। हालांकि, अस्थमा पूरी तरह से ठीक नहीं हो सकता लेकिन इसे नियंत्रित करके सक्रिय जिंदगी को जिया जा सकता है।
अस्थमा को नियंत्रित करने के लिए बाज़ार में कई तरह की थेरेपियां व दवाइयां मौजूद है लेकिन दुनियाभर में इंहेलेशन थेरेपी को सबसे बेहतरीन व सुरक्षित तकनीक माना गया है क्योंकि इसमें दवाइयों का डोज सीधे फेफडों में पहुंचता है और तुरंत असर करता है। मिडलैण्ड हॉस्पिटल के डायरेक्टर डा. बीपी सिंह ने बताया कि यह समझना बहुत महत्वपूर्ण है कि अपने फेफड़ों का नंबर जानना बहुत जरूरी है और क्यों इंहेलशन थेरेपी अस्थमा या सांस लेने में तकलीफ को नियंत्रित करने में प्रभावी है।
इस विश्व अस्थमा दिवस पर हम अस्थमा या सांस लेने में तकलीफ से पीड़ित लोगों को आग्रह करना चाहेंगे कि अस्थमा के लक्षणों को पहचानने के लिए पहला कदम स्पाइरोमिट्री टेस्ट या पल्मोनरी फंक्शन टेस्ट कराना चाहिए। इसके इलाज से जुड़े जितने भी मिथ है, उन्हें खत्म करने की जरूरत है। अस्थमा के इलाज का मुख्य उद्देश्य बीमारी को नियंत्रित करना है। अस्थमा को कंट्रोल करने के लिए भारत में इंहेलेशन थेरेपी सबसे किफायती है। इसकी कीमत चार रूपये से लेकर छह रुपये प्रतिदिन आती है।