लखनऊ। संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान के प्रो.देवेद्र गुप्ता व उनकी पत्नी ने स्वीमिंग पूल में अचते पड़े अपने साथी डा. अजीत को बाहर निकालने में ही नहीं मदद की, बल्कि सीपीआर तकनीक से श्वसन क्रिया को ठीक किया आैर फिर भर्ती कराया। जहां से वह अब नया जीवन पाकर अपने साथ डाक्टर दम्पति को शुक्रिया कहते नहीं थक रहे है।
घटना सोमवार की है। इस दिन डा. अजीत पीजीआई परिसर में बने स्वीमिंग पूल में तैरने गए थे आैर पूल की तलहटी में बेहोशी की हालत में पडे थे।
इसी बीच वहां से गुजर रहे एनेस्थिसिया के प्रो. देंवेंद्र गुप्ता व उनकी पत्नी डा. शैली गुप्ता ने उन्हें देख लिया। उन्होंने तत्काल शोर मचाते हुए लाइफ गार्ड जितेंद्र की मदद से पूल से डा. अजीत को बाहर निकाला। इसके बाद उनकी डूबती पल्स व हार्ट बीट को देखा। डाक्टर दम्पति ने हिम्मत न हारते हुए उनकी पत्नी डा. शैली गुप्ता ने मिल कर लगातार 15 मिनट तक कार्डियो पल्मोनरी रिससिटेशन दिया तो उनकी सांस और हार्ट बीट की गति के साथ श्वसन प्रक्रिया में कुछ सुधार आया। पल्स व हार्ट बीट में सुधार आने पर एंबुलेंस से संस्थान के आईसीयू में शिफ्ट किया।
वहां पर देखा गया कि उनके फेफडे में पूरी तरह पानी भर चुका था जिसके कारण सांस लेने में परेशानी हो रही थी। इलाज के बाद उनकी स्थिति में हालत में सुधार होने के बाद बृहस्पतिवार को वह ठीक होकर अस्पताल से डिस्चार्ज कि ये गये। डा. अजीत के परिजनों का कहना है कि भगवान ने प्रो. देवेंद्र व उनकी पत्नी को भगवान बनाकर मौके पर भेजा जिसके कारण आज जीवनदान मिला है।