लखनऊ। डायबटीज के मरीजो को शरीर के अन्य अंगों से ज्यादा पैरों का ध्यान रखना चाहिए। इन मरीजों के पैर में चोट लगने पर ठीक न होना व रक्त वाहिकाओं में ब्लाकेज होने की आशंका ज्यादा होती है। इन मरीजों को ब्लड शुगर के साथ पैरों की समय -समय पर जांच कराते रहना चाहिए। यह जानकारी किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के सीवीटीएस विभाग में आयोजित कार्यशाला में नयी दिल्ली के सर गंगाराम अस्पताल के डाईबटिक फुट केयर सेंटर व वस्क ुलर कैथलैब के निदेशक डा. अजय यादव ने दी। कार्यशाला में मुख्य अतिथि कुलपति प्रो. एमएलबी भट्ट थे।
कार्यशाला में डा. यादव ने बताया कि जब किसी मरीज के पैर का रक्त प्रवाह ठीक नही होता है तो पैर काला पड़ने लगता है। ऐसे में अगर घाव हो जाए आैर ठीक न हो रहा हो तो मरीज को वस्कुलर सर्जन के पास जाकर सलाह लेनी चाहिए। उन्होंने कहा कि डायबटीज मरीजों को ब्लड शुगर की जांच नियमित करानी चाहिए। इस दौरान ह्मदय की जांच कराने के साथ ही अपने पैरों के नसों की भी जांच करानी चाहिए। उन्होंने बताया कि मधुमेह रोगियों में ह्मदय की तकलीफ, धम्रपान तथा उम्र बढ़ने के साथ पैरों में ब्लाकेज भी होने लगता है,जिससे पैरों में गैगरीन होने की आशंका ज्यादा रहती है। पैर काले होने पर नसों की एंजियोप्लास्टी या ओपन सर्जरी करनी पड़ती है।
इसके अलावा लेजर व रेडियोफ्रेक्वेंसी से भी ठीक किया जा सकता है। कार्यशाला में सीवीटीएस विभाग के प्रो. शैलेन्द्र कुमार यादव ने कहना है कि सीवीटीएस कार्डियक, थेरोसिक तथा वस्कुलर रोगियों का इलाज किया जाता है। डा. यादव ने बताया कि एक्सीडेंटल मामलों में हड्डी के अलावा नसें भी फट जाती है, ऐसे में केजीएमयू में यह सेंटर है जहां पर मरीजों का इलाज किया जाता है। उन्होंने बताया कि अब नयी तकनीक के प्रयोग से मरीज जल्दी ठीक हो सकता है। कार्यक्रम में सीएमएस डा. एसएन शंखवार, चिकित्सा अधीक्षक डा. विजय कुमार, कार्डियक विभाग के प्रमुख डा. वीएस नारायण, प्रो. एस के सिंंह तथा प्रो. संदीप तिवारी भी मौजूद थे।