मनकामेश्वर घाट पर भव्य स्तर पर हुआ व्यास पूर्णिमा समारोह

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लखनऊ – मनकामेश्वर मठ मंदिर में रविवार को व्यास पूर्णिमा के अवसर पर डालीगंज स्थित मंदिर परिसर में भोर में मठ मंदिर के पूज्य गुरुओं की स्मृति में चतुर्मास गुरुपूर्णिमा अनुष्ठान विधि विधान से हुआ। मुख्य आयोजन शाम को मनकामेश्वर उपवन घाट पर हुआ।

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नमोस्तुते मां गोमती अभियान के तहत 11 वेदियों पर पंडित श्यामलेश जी के आचार्यत्व में 10 ब्राह्मणों ने महाआरती की। श्रीमहंत देव्या गिरि जी महाराज ने मुख्य वेदी पर मां गोमती की आरती की अगुवाई की। शंखनाद और ढोल-नगाड़ों के बीच मनकामेश्वर घाट जय भोले, बम बम भोले के जयकारों से गूंज उठा। इस अवसर पर उपस्थित विशिष्ट अतिथि आईएएस राजशेखर, आईएएस अखिलेश मिश्रा, एमएलसी सुनील सिंह साजन, सिविल अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डॉ आशुतोष दुबे ने भी गोमती आरती में भाग लिया।

विशिष्ट अतिथियों ने अर्जुन,बरगद, अशोक, बेर, बेल का पौधा रोपित किया। इन पेड़ों का औषधीय महत्व भी इस अवसर पर बताया गया। श्रीमंहत देव्या गिरि के अनुसार आषाढ़ मास की पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा कहते हैं। यह वही पूज्य दिन है जब महाभारत के रचयिता कृष्ण द्वैपायन व्यास का जन्म हुआ था। उन्होंने चारों वेदों की रचना की थी इसी लिए उनका एक नाम वेद व्यास भी है। उन्हें आदिगुरु कहा जाता है।

संत घीसादास की जयंती मनी

रविवार के कारण बड़ी संख्या में भक्त मनकामेश्वर घाट पर जुटे। घाट परिसर को रंगोलियों और फूलों से सजाया गया था। बरसात ऋतु के कारण मनकामेश्वर घाट पर उमड़ी आदि गंगा गोमती नदी के भक्तों ने दर्शन किए और गुरुओं के सम्मान में पांच सौ दीपकों का दान किया। लहरों पर दीपदान के जगमग दीयों की ऐसी चादर बिझी कि लगा आसमान के तारे मां गोमती के आंचल में टक गए हों। श्री महंत देव्या गिरि जी महाराज ने बताया कि व्यास पूर्णिमा पर आदि गुरु व्यास के साथ ही संत घीसादास की भी जयंती मनायी गई। उन्होंने बताया कि संत कबीर के शिष्य घीसादास भाक्तिकालीन लोकप्रिय संत थे।

मनकामेश्वर मठ मंदिर के गुरुओं का सम्मान

मनकामेश्वर मठ मंदिर पर व्यास पूर्णिमा के अवसर पर मठ के पांच सौ वर्षों में क्रम के अनुसार महंत रहे पूज्य गुरुओं का पंच द्रव्यों से अभिषेक किया गया। इस अनुष्ठान में वर्तमान श्रीमहंत देव्यागिरि जी महाराज ने क्रम अनुसार पूज्य गुरु राम गिरि, बालक गिरि, त्रिगुणानंद गिरि, बजरंग गिरि, केशव गिरि का रोली चंदन अक्षत से तिलक कर पूजन किया गया। इसका मुख्य आयोजन तो मंदिर परिसर में स्थापित प्रतिमाओं के समक्ष हुआ वहीं बड़ी संख्या में भक्तों ने मनकामेश्वर घाट पर भी पूज्य गुरुवाओं के चित्रों पर पुष्प अर्पित किए।

समाज को दिशा देने वाले पंच गुरुओं का हुआ अभिनंदन

इस अवसर पर पंच गुरुओं को मनकामेश्वर व्यास सम्मान से अलंकृत भी किया गया। शुद्ध पेय जल आपूर्ति की दिशा में विशेष योगदान देने वाले आत्म प्रकाश त्रिवेदी, दंत चिकित्सा के क्षेत्र में बढ़-चढ़कर कार्य करने वाले केजीएमयू दंत रोग विभाग के दंत स्वास्थ्य विज्ञानी अजीत शाही और प्रवीण कुमार वर्मा, स्वास्थ्य और पर्यावरण के लिए साइकिल राइडिंग को प्रमोट करने वाले राजेश कुमार और पर्यावरण संरक्षण के लिए पौध रोपण करने वाले श्री राम चन्दर का सम्मान किया गया

कुसुम के भजनांजलि से सजी गुरुपूर्णिमा

देश विदेश में लोक गायन कर चुकी लोकप्रिय गायिका कुसुम वर्मा ने प्रथम गुरु के चरण बंदऊ और गुरु मेरी पूजा गुरु गोबिंद गुरु मेरा पारब्रह्म जैसे कई भजनों को सुना कर सांस्कृतिक आयोजन को परवान चढ़ाया।

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