लखनऊ। किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के गैस्ट्रोएंट्रोलाजी विभाग में तीन वर्षो में 1500 ऐसे मरीज देखे गये, जो कि लिवर की गंभीर बीमारी की चपेट में आ चुके थे। इन मरीजों में सबसे ज्यादा लिवर खराब होने के मामलों में प्रमुख रूप से अल्कोहलिक होने के बाद मोटापा भी प्रमुख रूप से रहा है।
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यह जानकारी बुधवार को गैस्ट्रोलॉजिस्ट डा. सुमित रूंगटा व डा. अजय कुमार ने संयुक्त रूप से पत्रकार वार्ता में दी। डा. सुमित ने बताया कि 28 जुलाई को होने वाले विश्व हेपेटाइटिस दिवस में पूर्व हेपेटाइटिस के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए किया। उन्होंने बताया कि हेपेटाइटिस सीधे तौर पर लिवर में संक्रमण फैलाता है। इसमें अगर समय इलाज न किया जाए, तो लिवर का रिकवर होना मुश्किल हो जाता है।
उन्होंने बताया कि –
- लोग हेपेटाइटिस बी व सी के ज्यादा शिकार होते है।
- इस बीमारी की खासियत यह है कि इसके कोई खास लक्षण नहीं नजर आते है।
- देश में प्रत्येक वर्ष सात लाख से ज्यादा लोग हेपेटाइटिस बी जैसी खतरनाक बीमारी के चलते मौत के मुंह में समा जाते है।
- एक रिपोर्ट के मुताबिक हेपेटाइटिस बी का संक्रमण कई वजहों से होता है, जिसमें संक्रमित इंजेक्शन का प्रयोग, ब्लड का चढ जाना के अलावा असुरक्षित यौन सम्बध भी है।
- बी व सी के अलावा ए, डी व ई भी होता है।