लखनऊ। भारत पर हृदय संबंधी रोगों का बोझ बढ़ता जा रहा है, यह इतना बढ़ गया है कि लोगों की जान लेने में इसने संचारी रोगों को भी पीछे छोड़ दिया है। देश भर में कार्डियोवैस्कुलर बीमारियों की वजह से सालाना 25 लाख लोगों की मौत होती है, एक और बुरी खबर यह भी है कि यह समस्या दुनिया के किसी भी अन्य देश के मुकाबले भारतीयों को कहीं जल्दी शिकार बना रही है। भारत में औसतन 50 की उम्र के बाद लोग दिल के मरीज बनते हैं जबकि अमेरिका में 70 की आयु के बाद। वहीं हाल में मुंबई की म्यूनिसिपैलिटी की रिपोर्ट के मुताबिक मुम्बई में रोजाना 80 लोग हार्ट अटैक के चलते मारे जाते हैं।
अस्वास्थ्यकर जीवनशैली, तनाव, शारीरिक व्यायाम की कमी, मोटापा और खराब खुराक पहले से कहीं ज्यादा लोगों को दिल की दिक्कतों में फंसा रहे हैं। उच्च रक्तचाप के अलावा उच्च काॅलेस्ट्राॅल हृदय रोग का बड़ा जोखिम कारक है। खून में अगर काॅलेस्ट्राॅल का उच्च स्तर हो तो यह धीरे-धीरे धमनियों की दीवारों पर जमता चला जाता है, और उन्हें संकरा बना देता है जिससे दिल को पहुंचने वाला रक्त प्रवाह कम हो जाता है और नतीजतन हार्ट अटैक हो जाता है। कार्डियोवैस्कुलर बीमारियों से बचने के लिए निवारक स्वास्थ्य देखभाल प्रमुख है।
न्यूट्रीवाइज़ क्लीनिक की डायटीशियन नेहा मोहन सिन्हा कहती हैं अच्छी सेहत का मूलमंत्र है- सही वसा सही मात्रा में खाएं। हमें अपनी खुराक में सैचुरेटिड व अनसैचुरेटिड दोनों प्रकार के फैट्स चाहिए होते हैं, किंतु ज्यादा मात्रा अनसैचुरेटिड फैट्स की होनी चाहिए। इस बारे में यह परामर्श दिया जाता है कि हम दिन भर में कुल जितनी कैलोरी का सेवन करते हैं उसका 25 से 30 प्रतिशत हिस्सा वसा से आना चाहिए। हालांकि सैचुरेटिड फैट का हिस्सा 10 प्रतिशत से ज्यादा नहीं होना चाहिए।
हाइड्रोजिनेटिड आॅयल और बटर में मौजूद सैचुरेटिड फैट और ट्रांस फैट हमारे शरीर में गंदे काॅलेस्ट्राॅल को काफी बढ़ा देते हैं। उनकी जगह पर अनसैचुरेटिड फैट का सेवन करना हमारे दिल की सेहत और समग्र स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण है। नुकसानदेह सैचुरेटिड फैटी ऐसिड के सेवन को घटाने के लिए हमें वे उत्पाद अपनी खुराक से निकालने होंगे जिनमें इनकी मात्रा अधिक है और कम वसा वाले विकल्प अपनाने होंगे जैसे बटर की जगह मार्जरीन या फैट स्प्रैड आजमाईए, अपने आहार में वे उत्पाद शामिल कीजिए जिनमें मूफा और पूफा ज्यादा हो और मांस से प्राप्त होने वाली चर्बी को कम कीजिए। मूफा और पूफा जैसे अनसैचुरेटिड फैट को हैल्दी फैट माना जाता है। मूफा में विटामिन ई की मात्रा भरपूर होती है जो शरीर की कोशिकाओं को क्षति से बचाता है।
पीनट बटर, पीनट आॅयल, मेवे, जैतून का तेल, कैनोला आॅयल और सूरजमुखी का तेल ये सब मूफा के अच्छे स्त्रोत हैं। पूफा दो प्रकार के होते हैंः ओमेगा-6 फैटी ऐसिड और ओमेगा-3 फैटी ऐसिड। ये दोनों इनमें पाए जाते हैं- सोयाबीन तेल, मकई व कुसुम तेल, अलसी व सूरजमुखी के बीजों में, अखरोट, सोय मिल्क तथा ट्यूना, सालमन व सारडीन जैसी फैटी मछलियों में। आजकल कई उत्पाद जैसे फैट स्प्रैड और कुछ कुकिंग आॅयल भी ओमेगा-3 से समृद्ध होते हैं जो आपको अनसैचुरेटिड फैट्स का दैनिक कोटा पूरा करने में मदद देते हैं। डायटिशियन सिन्हा ने बताया ओमेगा थ्री फैटी ऐसिड को वंडर न्यूट्रीऐंट कहा जाता है जो हर तरह से लाभकारी है।
इसमें तीन वसाओं का समूह होता है-एएलए, ईपीए और डीएच ये तीनों मेटाबाॅलिज़्म एवं ब्लड क्लाॅटिंग को काबू करने के लिए जरूरी होते हैं। ये हमारे शरीर में होने वाली इनफ्लेमेशन को घटाने में सहायक हैं और हमें हृदय रोगों, कैंसर, इनफ्लेमेट्री बाउल डिसीज़ व आर्थराइटिस से बचाते हैं। ओमेगा-3 फैटी ऐसिड हमारे रक्त प्रवाह में घूमने वाले गंदे काॅलेस्ट्राॅल और ट्राइग्लिसिराइड्स का स्तर भी घटाते हैं। ये मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी लाभकारी हैं। ओमेगा 3 डिप्रैशन और मानसिक थकान के मामलों में फायदेमंद है। शाकाहारी लोग गहरे हरे रंग की पत्तेदार सब्जियों, सोयाबीन व राजमा, और अखरोट जैसे मेवों से ओमेगा 3 प्राप्त कर सकते हैं।
धान के भूसे का तेल, कैनोला व सोयाबीन तेल भी इन फैटी ऐसिड्स से भरपूर होते हैं और साथ ही अलसी के बीज व उनका तेल भी इनके अच्छे स्त्रोत हैं तथा ऐसे लाइट स्पै्रड भी उपलब्ध हैं जिनमें स्वास्थ्यकारी वैजिटेरियन ओमेगा 3 मौजूद हैं। अनसैचुरेटिड फैट से भरपूर खुराक बहुत से रोगों को रोक सकती है और कुदरती तौर पर हम सेहतमंद बने रह सकते हैं।