लखनऊ। मधुमेह मरीज को प्रत्येक वर्ष में एक बार आंखों की जांच करानी चाहिए। ताकि वह डायबटिक रेटिनोपैथी बीमारी से बच सके। यह बीमारी प्रदेश में भी बढ़ रही है। यह बीमारी युवाओं और बच्चों को भी प्रोलिफ रेटिव डायबिटिक रेटिनोपैथी (पीडीआर) नामक समस्या से ग्रस्त होने का खतरा रहता है, इस हालत में आंख की रोशनी खराब होने लगती है। ऐसे में मरीज अंधा हो सकता है। यह जानकारी अलीगंज के निजी आई हास्पिटल के नेत्र रोग विशेषज्ञ डा. शशी शर्मा ने दी। उन्होंने बताया कि स्वतंत्रता दिवस पर अस्पताल में 16 अगस्त से 20 अगस्त तक आखों की जांच निशुल्क की जाएगी।
उन्होंने बताया कि डायबटिक रेटिनोपैथी बीमारी तेजी से बढ़ रही है। डायबटिक मरीज अगर वर्ष में एक बार आंख की जांच कराता है तो उसे इस बीमारी से जल्द पहचान कर इलाज किया जा सकता है। हालांकि यह रोग डायबिटिक मरीज में ज्यादा जाता है। डायबिटिक रेटिनोपैथी दृष्टि पर बुरा प्रभाव डालती है तथा इससे रेटिना उन ऊतकों की रक्त वाहिकाओं को क्षति पहुंचती है, जो रोशनी के प्रति संवेदनशील होते हैं। समय पर ध्यान न देने से शिराओं में रक्त का रिसाव होता है और खराब नसे बनती है। कुछ मामलों में पर्दे में सूजन आ जाती है।
मरीजों को अक्सर आंख से धुंधला दिखाई देना, आंख के सामने काले धब्बो का आने लगते हैं। इसके अलावा कभी – कभी तो अचानक रोशनी चली जाती है। उन्होंने ऐसे में मरीज का 5 से 12 घंटे में अस्पताल पहुंचना काफी महत्वपूर्ण होता है। डॉ शशी ने बताया कि इस रोग के उपचार में लेजर व इंजेक्शन का प्रयोग किया जाता है और अंतिम इलाज सर्जिकल है। उन्होंने कहा कि डायबिटिक मरीज को साल में एक बार आंख की जरूर करानी चाहिए। उनका कहना है कि देश में डायबिटिक रेटिनोपैथी अंधेपन के कारणों में छठे नंबर पर है।