लखनऊ। पिछले साल राजधानी के माल,मलिहाबाद, काकोरी समेत कई गांवों में जहरीली शराब पीने से करीब दो दर्जन से अधिक लोगों की हुई मौत ने सभी लोगों को झकझोर कर रख दिया था। इस मामले में जांच पड़ताल हुई तो स्थनीय पुलिस की लापरवाही सामने आयी थी कि पुलिस शराब बनाने वालों पर नकेल कसी होती तो शायद इतने लोगों की जान बच सकती थी। बूढ़े और युवाओं की हुई मौत को याद कर आज भी लोग सहम जाते हैं। इस मामले को लोग अभी भुला भी नहीं पाये थे कि गोरखपुर जिले के बीआरडी मेडिकल कॉलेज में दो दिन पूर्व ऑक्सीजन न मिलने से 33 बच्चों की मौत से क्षेत्र ही नहीं बल्कि पूरी यूपी सहम गई।
यह वारदात किसी और जगह नहीं बल्कि सीएम के गढ़ में हुई है। एक साथ 33 बच्चों की लाशों को देख और सुनकर हर किसी जुबान पर एक ही चर्चा का विषय बना हुआ है कि पुलिस तो दूर अब धरती पर कहे जाने वाले भगवान भी लापरवाही करने से बाज नहीं आ रहे हैं। सवाल है कि कब तक यह कलयुगी डॉक्टर और सबंधित विभाग के प्रशासनिक अधिकारी अपनी लापरवाही का सूबूत देते रहेंगे। खास बात यह है कि पुलिस हो या फिर अन्य विभाग वारदात होने के बाद ही इनकी नींदे टूटती है। फिलहाल यह घटना गोरखुपर जिले के लिए नहीं बल्कि पूरे यूपी के लिए एक इतिहास बनकर रह गई। इन बच्चों की मौत से घरवालों की रो-रोकर पथरा गईं आंखे। पड़ोस में भी नहीं जले दो दिनों चूल्हे।
गोरखपुर जिले के बीआरडी मेडिकल कॉलेज का नाम और वहां पर तैनात डॉक्टरों का नाम सुनकर दूर-दराज के परिवार अपने मरीज को लेकर आते थे कि शायद यहां से उनके मरीज ठीक हो जायें। लेकिन जिस मेडिकल कॉलेज की सराहना करते थे आज वही डॉक्टरों एवं प्रशासनिक अधिकारियों की लापरवाही ने 33 परिवार वालों के आंगन में कोहराम मचा दिया। अचानक सिलसिलेवार मौत होने की खबर मिलते उन बच्चों के घरवाले सदमें में आ गये और आनन-फानन में बीआरडी मेडिकल कॉलेज पहुंचे,लेकिन इससे पहले सबकुछ लूट चुका था।
बताया गया कि घटना होने के बाद कई खादी वाले भी पहुंचे जिसमें विपक्षी दल और सत्ताधारी थे,जो कटे पर मरहम नहीं लगाने आये बल्कि अपनी रोटी सेंकने की होड़ में जुटे थे। फिलहाल दो दिन गुजरने के बाद भी यह किसी के खिलाफ कार्रवाई नहीं की गई। वहीं जानकार सूत्रों की मानें तो बीआरडी कॉलेज में तैनात एक डॉक्टर का नाम उजागर हुआ है जिसने इतनी बड़ी लापरवाही की है। लिहाजा पुलिस और प्रशासनिक अफसर जांच पड़ताल में जुट गये हैं।