लखनऊ। समय पर टीकाकरण कराने में चूक होने से तीन वर्षीय मासूम की मौत डिप्थीरिया बीमारी से हो गयी। किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के डाक्टरों के अलावा परिजनों ने भी माना अगर समय पर टीका करण डीटीपी का टीकाकरण कराया होता तो डिप्थीरिया से मौत नहीं होती।
गोरखपुर निवासी गोपाल अपनी तीन वर्षीय बेटी को केजीएमयू रेफर किया गया। वहां पर स्थानीय डाक्टरों का तर्क था कि उसके नाक में कोई चीज फंसी है, इसलिए केजीएमयू के ईएनटी विभाग रेफर किया गया। यहां पर नाक- कान व गला रोग विभाग के डाक्टरों ने जांच के बाद बाल रोग विभाग रेफर कर दिया। बाल रोग विभाग में जांच के बाद पाया गया कि उसके डिप्थीरिया ( गलाघोंटू) बीमारी है। इस बीमारी को टीकाकरण से आसानी से रोका जा सकता है। बाल रोग विभाग के डाक्टरों ने भी परिजनों को जानकारी देते हुए बता दिया था कि नाक में कुछ न फंस कर बच्ची को डिप्थीरिया नामक बीमारी है।
डाक्टरों का दावा है कि बच्चा कुछ उपचार के बाद बेहतर लग रहा था। वह खुद सांस लेने में समर्थ था आैर उसके रक्त में भी आक्सीजन की मात्रा भी सामान्य थी। इसके बाद भी मरीज की ब्लड की जांच कराने के लिए भेजा गया। इसके बाद अचानक उसे सुबह छह बजे कार्डियक अरेस्ट पड़ गया। डाक्टरों ने उसे तत्काल इलाज शुरू कर दिया, लेकिन आधे घंटे बाद उसकी मौत हो गयी। केजीएमयू प्रवक्ता डा. नरसिंह वर्मा का कहना है कि अगर समय पर टीकाकरण हो गया होता तो उसे बचाया जा सकता था।