लखनऊ। विश्व स्वास्थ्य संगठन के आकड़ो के अनुसार देश में 61 प्रतिशत मौतो का कारण नॉन कॉम्युनिकेबल डिसीज़ है। ग्लोबल सर्वे 2012 के अनुसार 35 प्रतिशत लोग उत्तर प्रदेश में तंबाकू का इस्तेमाल करते है। पूरी दुनिया में देखा जाये तो भारत तंबाकू के इस्तेमाल करने में दूसरा सबसे बड़ा देश है। भारत सरकार के प्रयासों से ये आंकड़ा कुछ कम होकर 2015 और 2016 के आंकड़ों के अनुसार 29 से 28 पहुच गया है लेकिन जंग अभी ख़तम नहीं हुई जब देश को पूरी तरह तंबाकू मुक्त न हो जाये ये बाते स्टेट हेल्थ मिनिस्टर अनुप्रिया पटेल ने पिट एंड फिशर सीलेंट और तंबाकू मुक्त उत्तर प्रदेश कार्यक्रम के उद्घाटन में केजीएमयू के ब्राऊन हाल में कही। इस अवसर पर प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह भी मौजूद थे.
उन्होंने बताया तंबाकू कण्ट्रोल की शुरुआत 2012 में की गई थी। जिसमे से 8 जिलो इसको चलाया जाना था। जिसमे गोरखपुर बस्ती फैज़ाबाद झाँसी मैनपुरी मेरठ और उत्तरप्रदेश है चार जिलों में ये चालू हो गया लेकिन चार जिलों अभी इसकी शुरुआत होनी बाकी है। जिसके अंतर्गत हेल्थ सेंट्रो पर तंबाकू से होने वाले नुकसान बताये जा रहे सीएचसी पीएचसी पर अवेयरनेस प्रोग्राम चलाये जाये। इसके साथ ही आज 6 से 14 साल तक के बच्चों के दांतों में अब कीड़ो बचाने के लिए kgmu से अनुबंध किया गया है। इसकी शुरुआत अभी पायलट प्रोजेक्ट के तहत की जा रही है। केजीएमयू का डेंटल यूनिट स्कूलों में बच्चों को दांतों की बीमारियों की जानकारी देने के साथ उनके मुंह में दांतो पर दवा लगाएगा ताकि लगने वाले कीड़ों को रोका जा सके.
स्वस्थ मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह ने बताया कि स्कूल के अंदर ओरल hygine बच्चो के सिलेबस में कहीं नहीं है। जबकि बच्चो से लेकर दातो के ख़राब होने का आंकड़ा 50 से लेकर 87 तक पहुच गया है। बचपन से ही बच्चो के जब दाँत नहीं निकलते तब से ओरल hygine पर ध्यान देना चाहिए बच्चे में मुह में दूध की बोतल देकर सुलाने से बच्चे के मुँह में बैक्टीरिया पनपने लगते है। लेकिन माता पिता इस और ध्यान नहीं देते है। उत्तर प्रदेश ने 595 डेंटल चेयर की मांग लोग सेवा आयोग से की है।
उन्होंने कहा 2065 डॉक्टर उत्तर प्रदेश में नियुक्त किये गए इसके अलावा 1000 डॉक्टर वकिंग इंटरव्यू शुरू किये गए है। अभी भी डॉक्टर की कमी है हम 30 प्रतिशत विशेष्यग डॉक्टर को बढाकर देगे इसके साथ इसके साथ ही ऑनलाइन फीडिंग चालू होने जा रहा आप जितना वेतन फीड करोगे हम उतना देगे हम चाहते है। आखिरी व्यक्ति तक हम स्वस्थ सेवा पंहुचा सके