लखनऊ। किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय में दवाओं को संकट गहराता जा रहा है। पर्याप्त बजट न होने व दवा कम्पनियों के समय पर दवाओं की आपूर्ति कर पाने से एंटीबांयटिक दवा तक नहीं मिल पा रही है। मजबूरी में केजीएमयू प्रशासन प्रतिदिन दवाओं की मानीटरिंग करके दवा वितरण तय कर रही है। केजीएमयू में बजट कम आने के कारण दवाओं का संकट बनता जा रहा है। सभी दवाओं को पूरा करने के लिए केजीएमयू प्रशासन ने दवाओं के लिए लगभग 10 करोड़ रुपये का बजट दोबारा शासन से मांगा है। बताया जाता है इसके साथ ही दवा आपूर्ति करने वाली कम्पनियों से कहा गया है कि दवाओं की आपूर्ति जारी रखे।
जल्द ही भुगतान कर दिया जाएगा। इसके बाद भी दवा कम्पनियों ने काफी संख्या में दवाओं की आपूर्ति कम या आधी – अधूरी कर दी है। इससे दवाओं की उपलब्धता चरमरा गयी है। दवाओं के न आने से मरीजों को दिक्कत हो रही है। वैसे भी ज्यादातर दवाओं को मरीजों से बाहर से मंगाया जाता है। इमरजेंसी या अन्य मरीजों को मिलने वाली एंटीबायोटिक दवाओं की कमी भी गहरा गयी है। सभी प्रकार की एंटीबायोटिक न होने पर मौजूूद एंटीबायटिक दवाओं को विकल्प के तौर पर प्रयोग करने के लिए कहा गया है। दवाओं की कमी को देखते हुए सभी विभागों का निर्देश दिये गये है कि सभी प्रकार की दवाओं की उपलब्धता की जानकारी दी जाए।
इसके लिए केजीएमयू प्रशासनिक स्तर पर कमेटी का गठन कर दिया गया है कि जो कि प्रतिदिन दवाओं की लिस्टिंग करके जानकारी देती है कि किन- किन दवाओं की कमी बढ़ती जा रही है। उन दवाओं की उपलब्धता की कोशिश केजीएमयू प्रशासन करने लगता है। चिकित्सा अधीक्षक डा. विजय कुमार बताते है कि वैसे तो दवाओं की कमी परोक्ष रूप से नही है, फिर भी दवाओं की कमी को पूरा करने के लिए कोशिश जारी है।